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________________ // 289 // मासे व्यतीते यशोदापार्श्वपुत्रवीक्षणाय देवक्या गमनम् | ज्ञाय जाग्रताअच्छि वृष्णिसूः // 44 // किमेतदिति सोऽप्यस्य बालं बालार्कतेजसम् / दर्शयित्वाऽवदत्तुष्टः कष्टच्छेदोमुतस्तव // 45 // भावी पुत्राभिधाच्छन्नं शत्रु कंसं हनिष्यतः / परं रहस्यं नाख्येयं त्वयेदं कस्यचिन्नृप / / 46 // त्रि०वि०॥ श्रुत्वेत्यनुमतस्तेन दुन्दुनन्दगृहं ययौ / तस्य प्रिया यशोदापि तदैवाजीजनत्सुताम् // 47 // यशोदायाः सुतं शौरिः समादाय तत्सुताम् / देववत् देव| कीपाश्व द्रुतं पुत्रपदेऽमुचत् // 48 // कृत्वेति निर्गते शौरौ प्रबुद्धाः कंसयामिकाः / दृष्ट्वा पुत्रीं गृहीत्वा च कंसस्य द्रागड्ढोकयन् an49 // कंसस्तं सप्तमं गर्भ स्त्रीरूपं प्रेक्ष्य निर्भयः / विधाय छिन्ननासाग्रं मुनेर्ज्ञानं हसन् मृहुः // 50 // तैरेवाऽममुचत्तूर्ण देवक्या * एव सन्निधौ / पुनर्जातामिवैतां साऽप्यन्तर्मत्वा मुदं ययौ // 51 // युग्मम् // कृष्ण इत्युल्लाप्यमानः कृष्णांगत्वेन गोमिभिः / स बालो देवतारक्ष्यमाणोऽवर्द्धत गोकुले // 52 // मासेऽतीते सुतं द्रष्टुं सोत्कंठा देवकी पतिम् / आपृच्छत्सोऽपि कंसातिसंधानायैवमा| दिशत // 53 // रजनौ प्रकाश्य गोपूजाव्रतं स्त्रीभिर्वृता ब्रजेः / अर्चन्ती गोपथे गास्त्वं गोकुलं साऽकरोत्तथा // 54 // पुण्यलक्ष्मीगृहं | तत्र दशाहस्येव जंगमम् / पृथुवक्षःकपाटाग्रदत्तश्रीवत्सतालकम् / / 55 // नीलन्नीलोत्पलदलश्यामलद्युतिडम्बरम् / अम्भोधिमिव पुंरूपं शंखचक्रमनोहरम // 56 // उत्फुल्लपुण्डरीकाक्षमस्ताघं यमुनौघवत् / देवकी मुमुदे वीक्ष्य यशोदांकस्थितं सुतम् // 57 / / त्रि.वि०॥ तस्मिन् मरकतादर्श इवानामृष्टनिर्मले / पुत्रे ऽन्यपुत्रिणीभ्यः स्वं द्रष्टुं शृंगारगौरवम् // 58 // गोकुले नित्यमेति स गोऽर्चाव्याजेन देवकी। लोके तदादि गोपूजाव्रतं प्रावर्तत क्षितौ // 59 // युग्मम् // पितुर्वैरात्सूर्पणख्यात्मजे शकुनिपूतने / अक्षमे वसुदेवस्यापकारे| ऽद्रेरिवैलिके // 60 // खेचर्यावपि शाकिन्याविवाकृत्योद्यते तदा / विद्यया तत्सुतं ज्ञात्वा यशोदानन्दवर्जितम् // 6 // निहन्तुं गोकुले K कृष्णमेकाकिनमुपेयतुः। ऋणिभिवैरिभिर्वप्तुः सूनुरर्भोऽपि शोध्यते // 62 // त्रि०वि०॥ शकुनिः शकटे स्थित्वा कृष्णेऽधःस्थे कटु // 289 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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