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________________ ||183 // पाते सरोव निर्गत्य पर्वते मुनि| समागमो मेपदेवस्यागमनम् विधेविलसितान्यहो // 61 / / कथं ? प्रत्यभिजानानि मामेष इति तकयन् / भानुमनुः पुनः प्रोचे मुनिनैवं सविस्मयः // 62 // यः | कीलितम्खयाऽमोचि खेचरः सिन्धुगेधमि / स एवामितगत्याख्यः कल्याणिन्नम्मि ने सुहन // 63 // द्विपं धृमशिखं कान्ताहारमनुधावितः / वेगात्तदाष्टापदाद्रेः समीपे प्राप्तवानहम् // 64 / / मन्प्रियां मझ्यात् त्यक्त्वा स नंष्ट्वाऽऽष्टापदे ययौ / पतन्तीमहमप्याशु | तामादायाऽगमं गृहे // 65 / / हिरण्यकुम्भस्वर्णकुम्भाभिधानौ चारणौ मुनी / समवासरतां शान्तौ पुरेऽथ शिवमन्दिरे // 66 // महेन्द्र| विक्रमस्तातः श्रुत्वा तद्देशनां ततः / वैराग्यान न्यस्य राज्ये मां तत्पाधैं व्रतमाददे // 37 // मनोरमायां पत्न्यां मेऽप्यभूत सिंहयशाः | सतः / अन्योऽवरोहग्रीवाख्यः क्रमान्मत्समविक्रमः // 68 // पुत्री गन्धर्वसेनेति सर्वगान्धर्वशारदा / पत्न्यां विजयसेनायां ममाऽमृद् पशालिनी // 69 / / दत्वा राज्ययौवराज्ये क्रमाद् विद्याश्च पुत्रयोः / श्रुत्वा धर्म पितृगुवा: पाचगृहां तयोव्रतम / / 70 // क्षारोदमध्यद्वीपस्य कुम्भकण्ठस्य भूपणे। गुर्वाज्ञया तपस्तप्ये कर्कोटकगिराविह / / 72 / / तदाख्याहि त्वमप्यात्मकथामित्यस्य पृच्छतः। | आचख्यौ चारुदत्तोऽपि सर्वां तां मूलतोऽप्यथ / / 72 / / अत्रान्तरेऽमितगति मुनीन्द्रं नन्तुमागतौ / तत्पुत्रौ नभसा तस्य समानौ || | रूपसम्पदा // 73 // कृतप्रणामौ सादृश्याद् ज्ञातावकथितावपि / तौ तत्सुतौ भानुजेन सर्वज्ञा हि सतां मतिः // 74 / / ज्ञापितौ मुनि| नाऽप्येतौ स्वमित्रं भानुसंभवम् / जल्पन्तौ तात तातेति भक्त्या नत्वा निषेदतुः / / 75 / / तदानीं धोखातारीद् विमानमसमानरुक / निर्गत्य देवस्तन्मध्याचारुदत्तं नमोऽकरोद / / 76 // ततः प्रदक्षिणीकृत्य तं महर्षि म हर्षनः / नन्दे विधिं कुर्वन् सर्वेषामपि विम्म-1 यम् 77 / / वन्दनव्यत्ययं दृष्ट्वा खेचरावूचतुः सुरम् / आवां मुखरयत्येप क्रमस्यातिक्रमस्तव // 78 // तद्रूहि खं कुतः साधोः प्रथम गृहमेधिनाम् / अवन्दिष्टाः सर्वनिष्ठास्रष्टारो हि भवादृशाः // 79 // त एव चेत्तां लुम्पन्ति मर्यादा मागग इव / क्षितौ तर्हि प्रली. // 183 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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