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________________ श्रीअमम // 4 // जिन चरित्रम् पूर्वाचार्य| स्तुतिः | कथानिर्माणहेतुश्च रन् सुकृतरिमे // 44 // रसोत्कर्षप्रवद्धिष्णुः सुपर्वोल्लासिवैभवा / नंद्यादपास्तसंभेदा स्वधुनीव स(तावली)॥४५॥ (हस्त)कंकणवद् देव्या ब्राह्मथा ग्रन्थकृतः क्षितौ / नन्दन्तु यत्कृतौ लोकोत्तरं शब्दार्थगौरवम् // 46 // तेषां प्रबन्धैर्माणिक्यैरिव बह्वर्थवन्धुरैः / सुहृदां कर्णपूरेषु निर्मितेषु पुरा भृशम् // 47 // अल्पार्थापि स्फुटामोदा जातिस्रगिव निर्मला / कण्ठालंकृतिमातन्वत्येषा मान्याऽस्तु मत्कृतिः // 48 // युग्मम् / / सेविताः (सद्गुण)स्थाः सुफलन्ति स्वामिनोऽधिकम् / पदारूढाः प्रणयिनां द्विजातेब्रह्मदत्तवत् // 49 // ध्यात्वेति भाविनोऽप्येतदममस्वामिनः प्रभोः। चरित्रोत्कीर्तनव्याजान्मयोपास्या विधीयते // 50 // भ्रातरौ प्रथमे जन्मन्यभृतां कुलपुत्रको / द्वितीये राजललितगंगदत्तौ वणिक्सुतौ // 51 // ताीयीके सुरौ तुर्ये, रामकृष्णौ (समु)द्वहौ / पंचमे वालुकाजन्मा कनीयानऽभवत्तयोः | // 52 // सम्पूर्णसप्तवार्यायुस्तदुवृत्तो नृपान्वये / पष्टे भविष्यति श्रीमानऽममो द्वादशो जिनः॥५३॥ ब्रह्मलोके सुरो भूत्वा रामस्तीर्थेऽस्य सेत्स्यति / संक्षेपोऽयं चरित्रस्य विस्तरस्त्वेष वर्ण्यते ॥५४॥चतुर्भिः कलापकम् // अत्रान्तरकालमानं कथं ? संगतिमंगति / | इत्याशंका न कार्या च, मय्यागमधरैर्यतः // 55 // अंतकृद्दशांगादावर्हद्गणधरोदितम् / एतदस्ति यथा कृष्णो बद्धतीर्थकराभिधः॥ // 56 // तृतीयभूमेरुवृत्तो देशे श्रीपुंडूनामनि / शतद्वारे पुरे भद्राजानेः सम्मतिभूपतेः // 57 // सूनुरुत्सपिणीभाव्यऽर्हच्चतुर्विंशतौ जिनः। भविष्यत्यममो नाम्ना, द्वादशस्त्रि(भुवीश्वरः) // 58 // त्रयोदशं च ये प्रोचुरममं श्रीजिनेश्वरम् / तदऽसत्यं भवेत्तेषां सिद्धान्ताशातना ध्रुवम् // 59 // तस्मात्केवलिनः तत्त्वं विदन्तीति विनिश्चयात् / कृतं मयाऽऽममस्वामिचरित्रं श्रूयतां बुधाः // 6 // अखर्वपर्वशीतांशुरूपो द्वीपोऽस्ति वृत्तभाक् / लक्ष्मी तनोत्यन्तर्यस्य जम्बूतरुर्गुरुः // 61 // द्वीपेषु चक्रवत्तित्वं स्वर्णाद्रिर्दिव्यरत्नभृत् / यस्योच्चैः शिखरैः शास्ति शिरःशेखरतां दधत् // 62 // वृत्ते छत्र इवात्र श्रीभोगिराजस्य विस्तृते / आस्ते शैलः शातकुम्भ // 4 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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