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________________ श्रीअमम // 88 // ___ तथाहि-श्रीवसन्ताभ्यां, विनिर्मितमिवाद्भुतम् / श्रीवसन्तपुरं नाम्नाऽन्वर्थेनास्ति पुरं भुवि // 41 // अतिवज्रायुधः स्फूर्त्या जिनमूर्त्याऽतिकुसुमायुधः। राजा शतायुधस्तत्र श्रिया चक्रायुधोऽभवत् // 42 / / तस्याऽसील्ललिता नाम देवी देवीव वार्बुिजा / चरित्रम् यामुपास्ते मुखच्छमात्सोदरामादगद् विधुः // 43 // कलाविलासगेहं साऽन्येधुर्वातायने स्थिता / प्रैषीदऽसूर्यपश्यत्वात् साश्चर्या - तत्प्रतिबोश्रीपथे दृशा // 44 // तत्र संचरमाणं च वल्गता बल्गुवाजिना / मायरेणातपत्रेण निषिद्धार्कातपकुमम् // 45 // वारस्त्रीचामरमरुत्तरङ्गै धाय सत्या कथिता | य॑तिषंगिभिः / क्षिपन्तं दिग्मुखेष्वंगयक्षकर्दमसौरभम् // 46 // मल्लीवल्लीसुमस्तोमोवेल्लद्धम्मिलकैतवात् / दर्शयन्तमिव व्योम ललितांग| ज्योत्स्नागर्भ स्वमूर्द्धगम् // 47 // सुभगेषु परां रेखां विधिना स्वस्य सूत्रिताम् / भाले दधानं कर्पूरप्रेडत्तिलकलेखया // 48 // मृग कथा नाभिरसोन्मिश्रश्मश्रुलेखामिषाद् ध्रुवम् / मदमुद्रामुद्वहन्तं लग्नां यौवनहस्तिनः // 49 // कर्पूरमूलताम्बूलसंमानेनाऽनेनाश्रयम् / | विशेषयन्तं सौरभ्यमौष्ट्ररागं च जन्मजम् // 50 // करक्रमेण पद्मानां स्कन्धाभ्यां केलिशैलयोः / कौतूहलं पूरयन्तं प्रियाया यौवन| श्रियः // 51 // सर्वांगीणमलंकारं जात्यस्वर्णमणिमयम् / तारं मौक्तिकहारं च बिभ्राणं कल्पवृक्षवत् // 52 // चम्पकागरुकर्पूरवासि| तानां स्ववाससाम् / दिव्यानां सौरभैर्वासयन्तं त्रिजगतीजनम् // 53 // ललितांगं ललितांगसंज्ञं विज्ञं कलाक्रमे / ईक्षामास युवानं सा रूपन्यत्कृतमन्मथम् // 54 // द०कु०॥ सुलोचना सा तद्रूपा सदोन्मत्तविलोचना / निश्चेष्टा शालभंजीव स्तम्भसंरंभभागऽभूत् // 55 // सर्ग-३ * इत्यौत्सुक्यादसौ दध्यौ धाता मां पक्षिणीं यदि / कुर्यात् तूड्डीय तदमुं भजेयं त्यक्तहीः स्वयम् // 56 // तच्चेष्टां पार्श्वगा चेटी वीक्ष्य | दक्षेत्यचिन्तयत् / पद्मे भुंगीव युन्यत्र दृगऽस्या रमते ध्रुवम् // 57 // ऊचे च देवि ! लावण्यसुधापूर्णे सुधांशुवत् / युक्तं कुमुद्वती- // 88 // | ववं यून्यत्र प्रेमभूरभूः // 58 // रायूचे साधु भोः साधु मनोज्ञा सिद्धिदा सखि ! / मामुजीवय विज्ञाय संयोज्यैनं सुधाइदम् // 59 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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