________________ मशुवम् बदापि श्रृगालो द्वास्थकपाटे बभ्रामांश्च० पत्र " 128 पृष्ठ पक्ति 2 7 पृष्ठ पंक्ति शुखम् , 5 | करोषि 2 10 | दर्धच्छिन्नो दक्षिणदिक्षु 2 14 पत्र 143 144 अशुद्धम् करोपि दधच्छिन्नो दक्षिणादिक्षु खेटक, भ्रातृ 131 खेटक विरमध्वम् मातृ 146 मापछय 1341 कदापि शृगालो द्वा:स्थकपाटे बंभ्रमाञ्चकार विरमत मापृच्छय घनं प्रसोष्यावहे भो देव ! प्रणामो एतास्यज वमत् जात जे करे ज करे धनं सुदर्शन केश सुर्दशन कृश 150 प्रसोष्याव: भो देव ! प्रमाणो एताश्त्यज सर्व संबर संबर ईदृशीं वमत इदशी सव जात, " " सर्व