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________________ श्रीविशेषण वत्यां २०-२४ विशेषाः RECESSA%ARSA (प्र.४८४) तिरिएसु णत्थि तित्थयरणामसंतति देसि समए । कह व तिरिओ न होही अयरोवमोडिकोडीए? ॥८१॥ तंपि सनिकाइ यस्सेव तइअभवभाविणो विणिद्दिढ । अणिकाइयम्मि वच्चइ सव्वगइओवि ण विरोहो ॥ ८२ ॥ २० । तिरिअनरसम्मदिट्ठी ण बंधई विमाणवज्जमाउंति । मणुएसु बंधइच्चिय कम्मप्पयडीण णिबिंदु ॥ ८३ ॥दरिसणविसेसओ तं | जहेह सासाणदरिसणस्सावि । सम्मत्तभंतरया ण य तेणामरगई नियमो ॥ ८४ ॥२१॥ छेवढे संघयण सुत्ते एगिदियाण पण्णत्तं । कम्मप्पगडीए कह बंधे उदए य तं नत्थि ? ॥८५॥ सण्णी अ असण्णियत्ति य जह कालिअहेउदिट्टिवायाओ। एगिदियाणमेव संघयणं ण य विसेसाओ ॥ ८६ ।। २२ । (भ.३९१) मोहनिमित्ता अट्ठवि बायरराए परीसहा कहणु ?। कीस व सुहुमसरागे न होति उवसामगे सव्वे ? ॥८७॥ सत्त य परउच्चिय जेण बायरो जं च सावसेसम्मि । मग्गिल्लम्मि पुरेल्ल लग्गइ तो दंसणस्सावि ॥८८॥ लग्गइ पएसकम्मं पडुच्च सुहुमादओ गुणे अट्ठ । तस्स भणिया ण सुहुमे ण तस्स सुहुमोदओवि जओ ॥ ८९ ॥ २३ । सयरीए मोहबंधट्ठाणा पंचादओ कया पंच । अनिअट्टिणो छलुत्ता णवादओदीरणापगए ॥९०॥ सयरीए दो विगप्पा सम्मा| मिच्छं समोहबंधम्मि । भणिया उईरणाए चत्तारि कहंणु होज्जाहि १ ॥ ९१ ॥ सयरीए पंचविहबंधगस्स दोण्ह उदओ विणिहिट्ठो। | चउराई छण्ह उदओ उदीरणाए पुणो भणिओ ॥९२॥ एको व दोव चउबंधगस्स सयरीए देसिया उदया । एको य बिचउ पंच य छच्चेबोदीरणा देसे ॥ ९३ ॥ सग बायरस्स संते ठाणा सयरीइ मोहणिज्जस्स । बारस उईरणाए दुगतेवीसाहिआ भणिया ॥ ९४-॥ संजलणलोहचरिमत्तिभागसंखेज्जभागमेतीव । वड्डतस्स कहं बायरस्स को हवइ संत ॥ ९५ ॥ जइ बायरस्स बारस
SR No.600390
Book TitlePratya Saraswat Vibhram Dan Shatrinshika Visheshanvati Vinshatika Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Kesarimal Samstha
PublisherRushabhdev Kesarimal Samstha
Publication Year1927
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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