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निविशेषनिरययैः मनुभवन् वेद्यन्यसिद्दिर परोक्ष व्यवहार योग्यत्वे सत्यवेद्यत्व स्वतः सिद्धिरित्यत आ ह केवलव्यतिरेकिणश्चेति अथ नामा नातू देणारेय नसिदकिमनेनानु मानेने न्यून आह देव लेगि केवल व्यतिरेकि पिचमी थम पे: अप विषयचे नान वन वापिसं प्रतिपन्नाहान भूतो - य: णसी सान कम ोड वषगान दिन। गानः ान मान वशान भित्यर्थः समतेन कैवेल व्यति
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गानगान गान गा :: नामार इहवेति नि
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गान नवान ान: य समान्य ोमान ोगानानान वयरेिण: मानानय ान म समान्य
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घटादिमत्यणाविम भगान न न
योगान मभन ानान भानगान