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________________ 0E बनगार स्तम्भः स्तम्भाधवष्टभ्य पट्टकः पट्टकादिकम । आरुह्य मालो मालादि मू लम्ब्योपरि स्थितिः ॥ ११३ ॥ ३-दीवाल-भीत या स्तम्भ वगैरहका आश्रय लेकर कायोत्सर्गकेलिये खडे होना स्तम्भ नामका दोष है। ४-पट्टा अथवा चटाई आदिके ऊपर खडे होकर कायोत्सर्ग करना पट्टक नामका दोष है। ५-शिरके ऊपरके प्रदेशमें शिरके द्वारा माला अथवा रस्सी आदिका अवलम्बन लेकर खडे होनाकायोत्सर्ग करना माल नामका दोष है। शृङ्खलाबद्धवत् पादौ कृत्वा शृङ्खलितं स्थितिः। गुह्यं कराभ्यामावृत्त्य शवरीवच्छवर्यपि ॥ ११४ ॥ -यदि अपने दोनों पैरोंको संकलसे जकडे हुए कैदीके पैरोंकी तरह बनाकर कायोत्सर्ग करे तो उसको शृङ्खालत नामका दोष समझना चाहिये। ७-मिल्लिनका तरह अपने गुह्यभागको-शरीरके गुह्य अंगको अपने दोनों हाथोंसे. ढककर कायोत्सर्ग करे तो वह शवरी नामका दोष है। लम्बितं नमनं मूर्ध्नस्तस्योत्तरितमुन्नमः । उन्नमय्य स्थितिर्वक्षः स्तनदावत्स्तनोन्नतिः ॥ ११५ ॥ ८-शिरको नीचा करके कायोत्सर्ग करना लम्बित नामका दोष है। ९-शिरको ऊपरको उठाकर कायोत्सर्ग करना उत्तरित नामका दोष है । १०-जिस प्रकार बच्चेको दूध पिलाने के लिये तयार हुई स्त्री स्तनभागको ऊपर उठाती है उसीप्रकार बध्याय SHORamanuMAKHABAR ८२९
SR No.600388
Book TitleAnagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pt Khoobchand Pt
PublisherNatharang Gandhi
Publication Year
Total Pages950
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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