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________________ 'बनगार ७६२ और आङ्गोपाङ्गोंका उतना ही प्रमाण रहा करता है। ४ थे उनके वज्रर्षभनारच संहनन रहा करता है। उनके शरीरमें हड्डी कीली और वेष्टन तीनों ही वज्रके या तत्तुल्य रहा करते हैं। ५ वे अत्यंत सुगंध, और छहे उत्कृष्ट सौन्दर्य, तथा सातवें उनके शरीरमें १००८ लक्षण और व्यंजन पाये जाते हैं। ८ वें उनका वीय अनन्त रहता है । तथा ९ वे उनके वचन लोगोंके लिये हितरूप और प्रिय हुआ करते हैं । १० वे उनके शरीरका रक्त दूधके समान श्वेतवर्ण हुआ करता है। शरीरके वर्ण द्वारा जैसे कि: श्रीचन्द्रप्रभनाथपुष्पदशनौ कुन्दावदातच्छवी, रक्ताम्भोजपलाशवर्णवपुषी पद्मप्रभद्वादशी। कृष्णौ सुव्रतयादवौ च हरितौ पार्श्वः सुपार्श्वश्च वै, शेषाः सन्तु सुवर्णवर्णवपुषो मे घोडशाऽघच्छिदे ॥ चौबीस तीर्थंकरों से आठवें चन्द्रप्रभ नाथ और नौवें पुष्पदन्त स्वामी कुन्दपुष्पके समान गौर वर्ण हैं। और पद्मप्रभ भगवान् तथा वासुपूज्य भगवानका शरीर रक्तकमलके समान अथवा ढाकके फूलके समान लाल वर्णका है।सुव्रतनाथ और सुपार्श्वनाथ स्वामीका शरीर हरित वर्ण है। बाकीके सोलह तार्थ करोंका शरीर सुवर्णके समान है। भगवानकी उचाई आदिका वर्णन करना, जैसे कि: नाभेयस्य शतानि पञ्च धनुषां मानं पर कीर्तितं, सद्भिस्तीर्थकराष्टकस्य निपुर्ण पञ्चाशदूनं हि तत् । पञ्चानां च दशोनकं भुवि भवेत्पशोनकं चाष्टके, हस्ताः स्युनवसप्त चान्त्यजिनयोर्येषां प्रमा नौमि तान् ॥ आदिनाथ स्वामीके शरीरकी उंचाई पाँचसौ धनुष, अजितनाथकी १५०धनुष, संभवनाथ स्वामीकी १०० धनुष, अभिनंदन स्वार्माकी ३५० धनुष, सुमतिनाथकी ३०० धनुष, पद्मप्रभस्वामीकी २५० धनुष, सुपार्श्वनाथकी २०० धनुष, चन्द्रप्रभस्वामीकी १५० धनुष, पुष्पदंत स्वामीकी १०० धनुष, शीतलनाथकी ९० धनुष, श्रेयान्सनाथ ७६२
SR No.600388
Book TitleAnagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pt Khoobchand Pt
PublisherNatharang Gandhi
Publication Year
Total Pages950
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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