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________________ बनमार धर्म, २१९ P49545227825ARAMPARAMANTRATEANTRAEPS समान और एसा कौन है जो कि सभामें अवानोंके कौतुकरूप आमोदसे राजाओंके मन इस तरहस अपनी तरफ खींचले-अपने अधीन बनाले । __ कुलीन पुरुष बलका मद नहीं करता-वह उसकी तरफ दुर्लक्ष्य रखता है, इसी : बताते हैं : शाकिन्या हरिमाययाभिचरितान् पार्थः किलास्थद्विषो, वीरोदाहरणं वरं स न पुना रामः स्वयं कूटकृत् । इत्यास्थानकथाप्रसंगलहरीहेलाभिरुत्प्लावितो हत्कोडाल्लयमति दो:परिमलः कस्यापि जिह्वांचले ॥ ९२॥ शास्त्रोंमें इतिवृत्तके देखनेसे यह बात अच्छी तरह मालुम होजाती है कि वीर पुरुषोंका उत्तम उदाहरण अर्जुन ही है, न कि रामचन्द्र; क्योंकि रामचन्द्रने बालिवधके प्रसंगमें स्वयं कूट कपट किया था। किंतु अजुनने ऐसा नहीं किया । उसने अपने शत्रुओंका तिरस्कार या पराजय करनेमें स्वयं छल कपट कभी नहीं किया। अध्याय १-पाठ गीत नृत्य हिसाब घंटाकी आबाज प्रश्न आदि अनेक बातोंको युगपत् धारण करसकनको अवधान कहते हैं । यथाः व्यावृत्तं प्रकृतं वियद्धि लिखितं पृष्टार्पितं व्याकृतं, मात्राशेषममात्रमंकशवलं तत्सवतोभद्रवत् । यः शक्तो युगपद् ग्रहीतुमखिलं काव्ये च संचारयन् वाचं सूक्तिसहस्रभंगसुभगां गृहणंतु पत्रं समे ॥ 345523
SR No.600388
Book TitleAnagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pt Khoobchand Pt
PublisherNatharang Gandhi
Publication Year
Total Pages950
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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