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________________ धारणवरण संसारसागरसे पार नहीं होसक्ते हैं, उन कन्याके देने में कौनसा धर्म होता है ! अर्थात् कन्यादान ४. धर्म नहीं है। ॥२७॥ दयापूर्वक प्राणीमात्रको चार प्रकारका दान करना यह करुणादान है । सम्यक्ती गृहस्थ सदा कृपालु होता है, जगत मात्रको उपकारी होता है, दुखित, भुखित, रोगी, अविद्याग्रसित व आश्रय * रहितको निरंतर चार दानोंसे संतोषित करता है, पशु पक्षी आदिकी भी दानसे सेवा करता है। श्लोक-ज्ञानदानं च ज्ञानं च, आहारं दान आहारयं । अबाध्यं भेषजश्चैव, अभयं अभयदानयं ॥ २७१ ॥ मन्वयार्थ (ज्ञानदानं च ज्ञानं च ) ज्ञान दान करनेसे ज्ञानकी वृद्धि होती है (भाहारं दान आहारयं) आहारदानसे आहारकी कमी नहीं रहती है (भेषनश्चैव अबाध्यं) तथा औषधि दानसे शरीरमें व्याधि नहीं होती है (अभयदानयं मभयं) अभयदानसे भय नहीं प्राप्त होता है। विशेषार्थ-यहां चारों दानोंके फल बताए हुए हैं। जो ज्ञान दान देते हैं, पात्रोंके ज्ञानकी वृद्धि चाहते हैं उनको स्वयं ज्ञानावराय कर्मका विशेष क्षयोपशम होता है। वे यहां भी तथा परलोकमें भी ज्ञानी होते हैं। व थोडे ही प्रयास में ज्ञानवान विद्वान होजाते हैं। जो आहारदान देते हैं वे अटूट पुण्य बांधते हैं, यहां भी अन्नसे दुखी नहीं रहते हैं व परलोकमें ऋद्धिधारी देव व धनशाली मानव होते हैं, औषधिदान करनेसे ऐसे पुण्य बांधते हैं जिससे भविष्यमें निरोग सुन्दर शरीर होता है। व अभयदान करनेसे सदा निर्भयताका साधन मिलता है, आश्रयहीन कभी नहीं होते हैं, वे सुन्दर आवास व रक्षकोंके मध्य में रहते हैं। ये चार दान अटूट पुण्यको बांध देते हैं। अमितगति श्रावकाचारमें एकादश परिच्छेदमें कहा है यत्किचित्सुन्दरं वस्तु दृश्यते भुवनत्रये । तदन्नदायिना क्षिप्रं लभ्यते लीलयाऽखिलम् ॥ ३० ॥ वातपित्तकफोत्याने रोगैरेष न पाड्यते । दावैरिव जलस्थायी भेषनं येन दायते ॥४॥ शास्त्रदायी सतां पूज्यः सेवनीयो मनीषिणाम् । वादी वाग्मी कविर्मान्यः ख्यातशिक्षः मनायते ॥१०॥ विचित्ररत्ननिर्माणः प्रोत्तुंगो बहुभूमिकः । लभ्यते वासदानेन वासश्चंद्रकरोज्ज्वलः ॥५१॥ भावार्थ-जो तीन लोकमें सुन्दर वस्तु है सो सष आहारदानीको शीघ्र प्राप्ति होती है। जो ॥२७१॥
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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