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________________ ॥ ३ ॥ ३६ KKKGGGGLEGALlRLEGEGENRELEGRkLakkakeet मंगलाचरण संसार शरीर भोगका स्वरूप मिथ्यात्वका स्वरूप कषायोंका स्वरूप तीन मृढ़ताओंका स्वरूप सम्यक्तके १५ दोष मिथ्यात्वके त्यागका उपाय सम्यग्दर्शनका स्वरूप आत्माके तीन भेद सुदेव कुदवका स्वरूप सुगुरु कुगुरुका स्वरूप कुधर्मका स्वरूप चार विकथाका स्वरूप सात व्यसनाका स्वरूप जल छाननेकी विधि कंदमूल शाक संमूर्छन ब्रस जंतु भोज्य पदार्थ मर्यादा विदल व पूर्णफल संधाना दोष आठ मदका स्वरूप चार कषायका स्वरूप धर्मका स्वरूप . पिंडस्थादि धर्मध्यानका स्वरूप विषयसूची। सम्यग्दर्शन महात्म्य सम्यग्दृष्टीका आचरण वेपन क्रियाएँ आठ मूल गुण रत्नत्रय स्वरूप दानका स्वरूप, पात्रापात्र विचार ५८ लाख योनिमें सम्यक्ती न जावे रात्रि भोजन स्पाग पानी छानना श्रावकके नित्य छः कर्म, अशुद्ध व शुद्ध भेद मिथ्या सामायिक शुद्ध षट्कर्म विचार पांच परमेष्ठीका स्वरूप २०९ | ११ अंगोंकी मापादि शास्त्र व शास्त्र भक्ति सम्यक्तीके ७५ गुण सुगुरू भक्ति स्वाध्यायका स्वरूप संयमका पालन शुद्ध षट् कर्म संक्षेप ग्यारह प्रतिमा स्वरूप १८१ | साधुका चारित्र KELKGEGEGREECEERAGECKGEEKEGEGREE १०२ s ar .... ११६ ११७ ४२
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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