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संवेगरंगसाला
जलचरादिजीवानां विराधनानां क्षामणा ।
॥६४८॥
मंडुक्कमच्छकच्छभ-मगराऽऽईया य जलचरा जे य । थलचारिणो य हरिहरिण-रोझसूयरससाईया ॥८४२८॥ खचरा य हंससारस-पारावयकुंचतित्तिराऽऽईया । संकप्पाऽऽरंभेहि, विराहिया विविहजीवा जे ॥८४२९॥ जे वा संघट्टियअभिहया य, परिताविया य तासियया । ठाणाउ ठाणंतर-महवा संकामिया जे य ॥८४३०॥ जे वा किलामिया मिया य, संघाइया य अन्नोनं । इय विविहदुहे ठविया, पाणे छड्डाविया जोव ॥८४३१॥ एत्थ भवे अन्नत्थ व, सयं परेहिं व ते वि खामेसु । तिविहं तिविहेणं पि य, स एस तुह खामणाकालो॥८४३२॥ जे वि मणुयत्तणे चिय, वट्टतेण मणुया तए कहवि । रायाऽवत्थाऽऽगएण, पीडिया ते वि खामेसु ॥८४३३॥ जे तत्थ दुट्ठचित्तेण, चिंतिया जे य दुट्ठवायाए । भणिया तह जे तणुणा, पलोइया दुहृदिट्ठीए ॥८४३४|| नायं पि हु अन्नायं, नायमऽनायं पि ठावमाणेण । कलुसत्तणओ दिव्वे, दहाविया सोहिया जे य ॥८४३५।। सच्चमलियं व दोसं, आगेवित्ता गहाविया जे य । खोडगअडिल्लासु, गोत्तिसु व खिवाविया जे य॥८४३६।। बंधाविया य निगडाविया य, ताडाविया व तह जे य । कुट्टाविया य सेहा-विया य विविहप्पयारेहिं ॥८४३७॥ दंडाविया य मुंडाविया य, छिदावियाई तह जाण । जाणुकरचणनासोट्ठ-कनपमुहऽगुवंगाई ॥८४३८॥ गहिऊण य सत्थाई, तच्छिय उक्कत्तिऊण वा देहं । पच्छा वि य सव्वंगं, खारेहि दहाविया जे य ॥८४३९।। पीलाविया य जंतेहिं, जे य पउलाविया य अग्गीए । निहणाविया य गत्तासु, जे उ उल्लंबिया रुक्खे ॥८४४०॥ गालियवसणा उक्खणिय-चखुणो जे विलुत्तदसणा य । विहिया तह तिकखाए, मूलाए रोविया जे य॥८४४१॥ १ गालितवृषणाः ।
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