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संवेगरंगसाला
मार्गे जिनचैत्यसङ्घादिदशने करणविधिः।
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तत्तो चेइयभवणे, गंतुं भत्तीए चेइयाण पुरो । सम्मं तब्दावण-पच्चयमिह कुणइ पणिहाणं ॥२०५९॥ एमेव सावगो वि हु, सम्मं खामियसमत्थवत्थव्यो । सम्मं कयचेइयमूरि-साहुवंदणविहागो य ॥२०६०॥ तदिन्नगहियनिरवज-विसयसंदेसगो सपणिहाणो । गामनगरागराऽऽइसु, महया जोगाइविहवेण ॥२०६१॥ नाय जियवित्तेणं, मग्गट्ठियभूरिधम्मठाणेसु । जिणसासणुन्नई निच-मेव परमं पकुब्वन्तो
॥२०६२।। दीणाऽणाहाण परं, अणुकंपादाणओ य आणंदं । उप्पायन्तो धीमं, परिभमइ समत्थतित्थेसु ॥२०६३॥ तत्थ गिही साहू वि य, पासित्ता चेइयाई तो सम्मं । संघो किरेस वंदइ, इय पणिहाणेण पढमं तु ॥२०६४॥ काऊण वंदणं संघ-संतियं चेइयाणमुवउत्तो । तो अप्पसंतियं पि हु, तदऽवत्थो चिय कुणइ सम्मं ॥२०६५॥ अह दव्ववेत्तकालाऽऽड्याण, संकिन्नया भवे कहऽवि । ताहे पणिहाणाऽऽइ, संखित्तं पि हु कुणइ चेव ॥२०६६॥ अह साहुसावगजणं, नाणाऽऽगुणागरं भणइ दटुं । अमुगत्थामे तुब्भे, वंदाविजह जिणवरिन्दे ॥२०६७।। ते वि ससंभमपाउब्भवंत-रोमंचकंचुइयकाया । महिवठ्ठठवियसीसा, सुभत्तिभरनिब्भरमणा य ॥२०६८॥ जय तइलोकमहापहु !, पभूयगुणरयणसायर ! जिणिंद! । इय देवगुणे अहवा, नमोऽत्थुणं एवमाईणि ॥२०६९।। सकत्थयवयणाई, कित्तंति ताव जाव आगंता । भगइ पुणो आयरियाइ-पेसिए धम्मलाभाऽऽई ॥२०७०।। अभिवन्दणाणुवन्दण-रूवं उचियट्टिई किर जणो ता । कुणइ ततो अन्नोन्नं, विसेसपुच्छाइसु विभासा ॥२०७१॥ इय पेरणीयपेरग-भाया, सुहजोगओ य उभएसि । सुहबन्धो जयगुरुणा, निद्दिडो इट्टसिद्धिफलो २०७२।।
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