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संवेगरंगसाला
|द्वितीयनियमे
पल्लिपतिपरीक्षा।
॥७८॥
दंसिस्सामि मुहमहं, लोगाणं पयडमेव वच्चंतो । इय चिंतंतो चलिओ, जाए रयणीर 'मज्झम्मि ॥९७३।। अह सिग्घ चिय पत्तो, निययगिहे खग्गमेत्तयसहाओ । केणावि अनज्जतो, सेजाभवणम्मि य पविट्ठो ॥९७४॥ पेच्छद य पज्जलन्त-प्पईवपसरन्तकंतिपडलेण । सेजाए निययभञ्ज, पुरिसेण समं सुहपसुतं
॥९७५॥ ताहे भालयलसमु-ल्लसंतरंगन्ततिवलिविगरालो । दन्तग्गभागनिठुर-दट्ठोट्ठो गाढकोवेण
॥९७६।। . विफारियफारारुण-नयणुब्भडकतिपडलपल्लवियं । आयड्ढिऊण खग्गं, चितेउमिम समाढत्तो ॥९७७।।
को अज एस कीगास-बयणमणुसरिउमिच्छइ वरागो। जो मइ जीवंते वि हु, मम भज्ज सेवइ अणजो ॥९७८॥ किंवा इमा वि पावा, मम भजा चत्तलजमजाया । पुरिसाहमण केण वि, सद्धिं एवं पसुत्त ति ॥९७९।। एत्थ द्वियाणि दोनि वि, इमाणि खंडेमि मंडलग्गेण । अहवा लोयविरुद्धे, इत्थीए बहे कहं एस ॥९८०॥ विक्कंतुक्कडपरचक्क-करिघडाडोवविहडणपयंडो । वावारिजइ बहुसमर-पत्तकित्ती महाखग्गो
॥९८१।। तो एयं चिय एक्कं, हणामि इइ जाव देइ नो घायं। ता चिरगहियाभिग्गह-मणुसुमरइ झत्ति स महप्पा ॥९८२॥ ताहे पञ्चोसक्किय, सत्तट्ठपयाई जाव पहरेइ । उवरि पीढिउक्खलणे, खग्गेण खडक्कियं ताव ॥९८३।। अह भाउजायादेह-भारपीडिजमाणबाहाए । विहडंतनिबिडनिद्दा-भराए भगिणीए तं सोचा
॥९८४॥ चिरकालं जीवउ मज्झ, भाउगो वंकचूलिनामो सो । सज्झसबसप्पबुद्धाए, तीए वि [अ] जंपियं सहसा ॥९८५॥ आयनिऊण एवं, विचितियं वंकचूलिगा ठाहे । अहह ! कहं मम भगिणी, सा एसा पुफचूल ति ॥९८६॥
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