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________________ विषय नयचक्रसार अनुक्रमणिका 0000000विषय पत्र. मंगलाचरण । चार अनुयोग तथा गुणठाणा आ ४ पंचास्तिकायका सामान्य विशेष धर्म. श्रीजीवकाभेद और साधारण वैराग्य उपदेश ५ अस्तिस्वभावका लक्षण और नास्तिस्वभावका तथा भवकी सामान्य विवक्षा और मीमांसादिक लक्षण. - १०२ अर्थ दर्शनोका बिचार. ६ अर्पित अनर्पितपणे एकधर्म सप्तभंगी देखाइ है. १०५ २ द्रव्यका गुणका और पर्यायका लक्षण नय निक्षे पादिक सहित इणुके अन्तरभूत अन्यदर्शनीयोकी ७ अत्यंत बिस्तारसहित स्वरूपपणे सप्तभंगी देखाइ है १०८ उन्मार्गता इत्यादिक. ८ गुणनी सप्तभंगीआ देखाई है. ३ पंचास्तिकायका स्वरूप तथा एकेक द्रव्यका मिन्न ९ नित्यानित्यस्वभावमें और अस्ति नास्ति स्वभामिन्न लक्षण इत्यादि. वमें उत्पाद व्ययका एक भेद दुसरा.
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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