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आगमसार
प्रकरणम्
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964USOSHARRASKUSASUSAS
छे माटे तेहनो त्याग करो ए निगोदनो विचार कह्यो ए सर्व प्रमेयनो प्रमाता आत्मा पोताना ज्ञान गुणे करी प्रमेयनो प्रमाण करे ए प्रमेयत्व पणो कह्यो.
५ सत्वपणो ते छ द्रव्य एक समयमा उपजे विणशे छे अनेस्थिरपणे छे उत्पाद व्यय ध्रुवपणो तेहिज सत्पणो (उत्पाद व्ययध्रुवयुक्तं सत्) इति तत्वार्थ वचनात् ते विस्तारथी कहि देखाडे छे जे धर्मास्तिकायना असंख्याता प्रदेश छे तिहां एक प्रदेशमा अगुरुलघु असंख्यातो छे अने वीजा प्रदेशमां अनंतो अगुरुलघु छे त्रीजा प्रदेशमा असंख्यातो अगुरु । लघु छे एम असंख्याता प्रदेशमा अगुरुलघु पर्याय घटतो वधतो रहे छे ते अगुरुलघु पर्याय चल छे ते जे प्रदेशमा असंख्यातो छे ते प्रदेशमां अनंतो थाय छे अने अनंताने ठेकाणे असंख्यातो थाय छे एम लोकप्रमाण असंख्यात प्रदेशमां सरीखो समकालें अगुरु लघु पर्याय फिरे छे ते जे प्रदेशमा असंख्यातो फिटीने अनंतो थाय छे ते प्रदेशमां असं-12 ख्यातपणानो विनाश छे अने अनंत पणानो उपजवो छे अने अगुरुलघु पणे गुण ध्रुव छे एम उपजवो विणसवो अने ध्रुव ए त्रणे परिणाम छे. | अधर्मास्तिकायमां पण एत्रणे परिणाम असंख्यात प्रदेशे सदा समय समयमां परिणामी रह्या छे तेमां पण उपजे| विणशे अने थिररहे छे एम आकाशना अनंता प्रदेशमा पण एक समये त्रण परिणाम परिणमे छे अने जीवना असंख्याता प्रदेश छे ते मध्ये पण उपजे विणशे थिर रहे तथा पुद्गल परमाणुमां पण समय समय थाय छे अने कालनो| वर्तमान समय फिटीने अतीत काल थाय छे तो ते समयमा वर्तमानपणानो विनाश छे अने अतीतपणानो उपजवो छे
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