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________________ आगमसार HEMAM गया. छट्ठो काल द्रव्यनो समय कोइ कोइथी मिलतो नथी केमके एक समय विणस्या पछे बीजो समय आवे छे माटे काल प्रकरणम् | अस्तिकाय नथी ए द्रव्यमां अस्तित्व पणो कह्यो. २ वस्तुत्व केहतां वस्तुपणो कहे छे ते द्रव्य छए एकठा एक क्षेत्र मध्ये रह्या छे एक आकाश प्रदेशमा धर्मास्तिकायनो एक प्रदेश रह्यो छे तथा अधर्मास्तिकायनो पण एक प्रदेश रह्यो छे अने जीव अनंताना अनंता प्रदेश रह्या छे पुद्गल परमाणु अनंता रह्या छे ते सर्व पोतानी सत्ता लीधा थका रह्या छे पण कोइ द्रव्य कोइ द्रव्य साथे मिली जातो नथी ते वस्तु पणो. | ३ द्रव्यत्व केहतां द्रव्यपणो ते सर्व द्रव्यपोतपोतानी क्रिया करे एटले धर्मास्तिकायमां चलणगुण ते सर्व प्रदेश मध्ये &छे सदा कालें पुद्गल तथा जीवने चलाववा रूपक्रिया करे छे इहां कोइ पुछे जे लोकान्त सिद्धक्षेत्रमा धर्मास्तिकाय छे ते सिद्धना जीवने चलाववापणो करती नथी ते केम? तेने उत्तर कहे छे जे सिद्धना जीव अक्रिय छे माटे शलता ४ नथी पण ते क्षेत्रमा जे सूक्ष्म निगोदना जीव तथा पुद्गल छे तेहने धर्मास्तिकाय चलावे छे माटे पोतानी क्रिया करे छे तेमज अधर्मास्तिकाय जीव तथा पुद्गलने स्थिर राखवानी क्रिया करे छे तथा आकाशद्रव्य ते सर्व द्रव्यने अवगाहना रूपकार्य करे छे इहां कोइ पूछे जे अलोकाकाशमां तो बीजु कोइ द्रव्य नथी तो अलोकाकाश कया द्रव्यने अवगाह-121 दान आपे छे तेने उत्तर कहे छे जे अलोकाकाशमां अवगाह करवानी शक्ति तो लोकाकाश जेवीज छे परंतु तिहां : A LINARRECREKA ९ ॥
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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