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________________ आगमसार ॥ ५९॥ परिणामि बीजा अवति परिणामि अवतिना बे भेद एक अव्रति समकेति बीजा अब्रति मिथ्यात्वी ते मिथ्यात्वीना बे प्रकरणम् | भेद एक भव्य बीजा अभव्य ते भव्यना बे भेद एक ग्रंथीभेदी बीजा ग्रंथीअभेदी एवी रीते जे जीव जेवो देखाय तेने तेवो माने ए व्यवहार नय छे एमज पुद्गलना भेद करवा ते कहे छे पुद्गल द्रव्यना बे भेद छे एक परमाणु, बीजो * खंध, खंधना बे भेद एक जीवने लागा ते जीव सहित बीजा जीव रहित ते घडो प्रमुख अजीवनो खंध हवे जीव सहित खंधना बे भेद छे एक सूक्ष्म खंध बीजो बादर खंध. | इहां वर्गणानो विचार लखीये छैये तिहां पुद्गलनी वगर्णा आठ छे१ औदारिकवर्गणा २ वैक्रियवर्गणा ३ आहारकवर्गणा ४ तेजसवर्गणा ५ भाषावर्गणा ६ उसासवर्गणा ७ मनोवर्गणा ८ कार्मणवर्गणा-ए आठ वर्गणानां नाम कह्यां बे परमाणु भेलाथाय त्यारे व्यणुकखंध कहेवाय त्रण परमाणु भेलाथाय तेवारे व्यणुकखंध थाय एम संख्याता परमाणु मिले संख्याताणुकखंध थाय तेमज असंख्याते असंख्याताणुकखंध थाय तथा अनंता परमाणु मिले अनंताणुकखंध थाय ए खंध ते| सर्व जीवने अग्रहण योग्य छे अने जेवारें अभव्यथी अनंत गुणअधिक परमाणु भेलाथाय तेवारें औदारिक शरीरने | लेवा योग्य वर्गणा थाय. | एमज औदारिकथी अनंत गुणा अधिक वर्गणामां दल भेला थाय तेवारें वैक्रिय वर्गणा थाय वली वैक्रिय थकी अनंत गुणा परमाणु मिले तेवारें आहारकवर्गणा थाय एम सर्व वर्गणाना एकेकथी अनंतगुणा अधिक परमाणु मिले तेवाएँ ते ॥ ५९॥ वर्गणा थाय एटले पहेलीथी बीजी वर्गणा बीजीथी त्रीजी एम सातमी मनोवर्गणाथी आठमी कार्मणवर्गणामां अनंत RICHIRICATAIRIRACHI
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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