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________________ प्रकरणम् आगम- तिअने गुण अनंता छे पर्याय अनंता छे प्रदेश असंख्याता छे तेणेंकरी अनेक छे, आकाशद्रव्यनो लोकालोक प्रमाण खंध सार एक छे अने गुण अनंता छे पर्याय अनंता छे प्रदेश अनंता छे माटे अनेक छे, काल द्रव्यनो वर्त्तनारूप गुण एक छे अने गुण अनंता के पर्याय अनंता छे समय अनंता छे केमके अतीत काले अनंता समय गया अने अनागतकाले ॥५४॥ अनंता समय आवशे. तथा वर्तमानकाले समय एक छे माटे अनेक पक्ष छे पुद्गल द्रव्यना परमाणु अनंता छे ते एकेक परमाणुमां अनंतागुण पर्याय छे ते अनेक पणुं छे अने सर्व परमाणुमा पुद्गलपणुं ते एछज छे माटे एक छे. ___ जीवद्रव्य अनंता छे एकेका जीवमा प्रदेश असंख्याता छे तथा गुण अनंता छे पर्याय अनंता छे ते अनेकपणुं छे पण जीवितव्यपणुं सर्व जीवोनुं एकसरी छे माटे एक पणुं छे इहां शिष्य पूछे छे जे सर्व जीव एक सरीखा छे तो मोक्षना जीव सिद्ध परमानंदमयी देखाय छे अने संसारी जीव कर्म वश पड्या दुःखी देखाय छे अने ते सर्व जुदाजुदा 13 देखाय छे ते केम? तेहने गुरु उत्तर कहे छे के निश्चयनये तो सर्व जीव सिद्ध समान छे माटेज सर्व जीव कर्म खपादवीने सिद्ध थाय छे तेथी सर्व जीवनी सत्ता एक छे. | फरि शिष्य पुछे छे के जो सर्व जीव सिद्ध समान कहो छो तो अभव्य जीव पण सिद्ध समान छे एम ठेगुं अने ते तो मोक्ष जता नथी तेहने उत्तर जे अभव्यने कर्म चीकणा छे अने अभव्यमां परावर्त्त धर्म नथी तेथी सिद्ध थता नथी तमाटे तेनो एहवोज स्वभाव छे जे मोक्षे जर्बुज नथी अने भव्य जीवमा परावर्त्त धर्म छे माटे कारण सामग्री मिले पलटण पामे गुणश्रेणी चढी मोक्षं करी सिद्ध थाय पण जीवना मुख्य आठ रुचज प्रदेश जे छे ते निश्चय नयथी भव्य है के जो सर्व जीव सिद्ध कम चीकणा छे अने अभयपरावर्त धर्म छे माटे कारण नयी भव्य । ॥५४॥
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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