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________________ प्रकरण SAS तत्तो सो चाणको, वुड्डाए वयणमभियमिव गहिउँ । हिमवंतसेलकूडं पत्तो सह चंदगुत्तेणं ॥१४५॥ तत्थ य पञ्चयगेण, रणा धर्मविधि सह अइघणा कया पीई । भणियं च पाडलिपुरं, गिहामो पियरदत्तं व ॥ १४६ ॥ रजं च भायरा विच, अदं अद्धेण वि. ॥४२ भजइस्सामो । तेण तहत्ति पवन्ने, लूडंति त उहिए देसे ॥ १४७ ॥ पत्ता एगत्य पुरे, जाव न सकति गिहिउँ कहदि । तो चाणको एयं, कुणइ उवायं नियमईए ॥ १४८ ॥ कयपरिवायगवेसो, वत्थु पिक्खंतओ भमइ नयरे । अह इंदकुमारीओ, मुहलग्गपटिआ दिट्टा ॥ १४९॥ नायं कहविन भजइ, एयाण पभावी इमं नयर | आ सो आउरलोएण, पुच्छियो साहए एवं ॥ १५०॥ भो ! भो ! एरिसलग्गे, इंदस्स कुमारियार एयाओ । इह ठाणे उवियाओ, नफिट्टई रोहओ जेण ॥ १५१ ॥ लक्खणमाणेण मए, नायमिमं पञ्चओ य इह एसो । अवणिताण य तुम्हं, ओसरिही रोहयो हिचि ।। १५२ ॥ अवणिति जाव ते विहु, ओसारइ ताव रोहयं किंचि । तो दिट्टपथएणं, जण कूदो को तत्थ ॥१५॥ अहलिउन मंज | वि, तं पुरं गिहिउं य सव्वस्सं। पता पाटलिपुत्तं, चउद्दिसिं रोहिउँ रहिया ॥१५४५ नंदो वि पइदिणं चिय, तेहिं समं कुणइ गुरुयसंगामं । वच्चंतेहि दिणेहि, तुटबलो सो उपक्खीणो॥१५५|| तत्तो धम्मदुबारा, मग्गेई इंतकारमिव विप्पो,दिनं चाणकेणं, जं एसा नरवराण ठिई ॥१५६॥ नंदस्स उवालभ, चाणको दाबए अहो तुमए । तइया न किपि दिलं, मज्न विणा पद्धचंदं ति ॥१५७।। इन्दि च मए दिन, तुज्झ इमं जासु एगरहचडिभो । जं सकसि तं गिन्हिय, इय सोउं चिंतए नदो ५ निर8 टेइ सुर्घाडगंपि हु, संघडए विडियंपि कजमिह । संघडणविहाणा वाडेण, विहिगा जगो नडिओ ॥ १५९ : अह विसको एगं, रूपवई मुंचए नियावासे । एयं विवाहिकणं, मरिस्सई चंदात ति ।।१६०॥ तत्तो भजाजुयल, कर्म एच13 USPEECH- PAHOLIGAVADORE 19
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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