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________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवी या वृत्तिः ॥२०७॥ अयमेयारूवे अन्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - किं सअंते लोए अनंतेलए? तस्सविय णं अयम- एवं खलु मए खंदया ! चउव्विहे लोए पन्नत्ते, तंजहा- दव्वओ खेत्तओ कालओ भइ ओ । दव्वओ णं एगे लोए सअंते १, खेत्तओ णं लोए असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ आयामविक्खंभेणं असंखेज्जाओ | जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं प०, अत्थि पुण सअंते २, कालओ णं लोए ण कयावि न आती न कयावि न भवति न कयावि न भविस्सति भविंसु य भवति य भविस्सह य धुवे णितिए सामते अक्खए अव्वए अवट्ठिए | णिच्चे, णत्थि पुण से अंते ३, भावओ गं लोए अनंता वण्णपज्जवा गंध० रस० फासपज्जवाता संठाणपजवा अनंता गरुयलहुयपज्जवा अणंता अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थि पुण से अंते ४, सेत्तं खंदगा ! दव्वओ लोए सअंते खेत्तओ लोए सअंते कालतो लोए अनंते भावओ लोए अनंते । जेवि य ते खंदया ! सअंते जीवे अणते जीवे, तस्सवि य णं एयमट्ठे एवं खलु जाव दब्वओ णं एगे जीवे सअंते, खेत्तओ णं असंखेजपएसिए असंखेज्जपदेसोगाढे, अत्थि पुण से अंते, कालओ णं जीवे न कयावि न आसि जाव नित्थि पुण से अंते, भावओ णं जीवे अनंता णाणपजवा अनंता दंसणप० अनंता चरित्तपः अनंता अगुग्यप, नत्थ पुण से अंते, सेत्तं दब्बओ जीवे सअंते खेत्तओ जीवे सअंते कालओ जीवे अणते भावओ जीवे अणते । जेवि य ते खंदया पुच्छा [इमेयारूवे चिंतिए जाव सअंता सिद्धी अणंता सिद्धी, तस्सवि य णं अयम्-दया ! मए एवं खलु चउब्बिहा सिद्धी पण्ण०, तं० - दव्वओ ४, दव्वओ णं एगा सिद्धी] खेत्तओ णं सिद्धी पणयालीसं २ शतके उद्देशः १ स्कन्दक चरित्र सू० ८९ प्र०आ०११७ ॥२०७॥
SR No.600376
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages367
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size31 MB
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