SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | भाषान्तरम् पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान ॥११॥ देवो, तथा ज्योतिषी देवो, तथा वैमानिक देवो चोमासीनी त्रण अट्ठाइ तथा पर्युषणने विषे अष्टासिका महामहिमाने करे छे. अने तिथि तो प्रत्याख्यान सूर्योदय समये जे होय छे तेज प्रमाण कहेवाय छे तथा चैत्र मासनी अट्ठाइ तथा आसो मासनी अट्ठाइने विषे मोटा विस्तारथी श्री सिद्धचक्रमहाराजना यंत्रनुं आराधन करवू. बाह्यथकी यंत्रना स्वरूपने निरधारी आंतर मनथी ललाटपट्टादि दश स्थानकोने विषे यंत्रनी आकृतिने स्थापीने मन, वचन, कायाना योगोने एकत्र करी ध्यान धारण करवु तथा उत्कृष्ट भावथकी निरंतर तेह- आराधन कर. श्रीमान् श्रीपाल राजा अने मयणासुंदरीनी पेठे सदैव आराधन करवू, जे सिद्धचक्रनुं आराधन करवाथी इहलोक तथा परलोकने विषे सर्वत्रापि सुख थाय तथा तेवी ज रीते त्रणे चोमासीना अट्ठाइना दिवसोनुं आराधन कर. तथा समग्र अष्टाहिकाने विषे अमारीनी उद्घोषणानो पडह वगडाववो, तथा अष्टपकारी, तथा सत्तरमेदी, तथा एकवीश प्रकारी परमात्मानी भक्तिथी पूजा करवी तथा भणाववी. तथा खांडवु, दलवू, पीस, भूमिर्नु खोदवू, वस्त्रादिक धोवं, विषयादिकनुं सेवन करवू-करावq. अने अनुमोदन करवू वगेरे पर्वना दिवसोने विषे विशेष प्रकारे त्याग करवो तथा श्री पर्युषण पर्व- आराधन नीचे लख्या प्रमाणे करवू. प्रथम अमारीना पटहनी उद्घोषणा कराववी १। बीजु साधर्मिक भाइयोर्नु वात्सल्य करवू २। त्रीजुं परस्पर खामणा करवा ३। चोथु अष्टम तपर्नु आराधन करवू ४। पांचमुं चैत्यपरिपाटी करवी. (समग्र जैनमंदिरे दर्शन करवा गमन करवु.) ५ तेमां पण सर्वे साधर्मिक भाइओनुं वात्सल्य करवानी शक्ति न होय तो स्वशक्ति अनुसारे केटलाकर्नु पण कर. शास्त्रकारमहाराजा समानधर्मी धर्म-बांधवोनी प्राप्ति प्रायः करी दुष्पाप्य कथन करे छे. जे माटे का छे के:
SR No.600358
Book TitleParyushanasthahnika Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherHirachand Hargovan Kapadia
Publication Year
Total Pages72
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy