SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सज करे । खावे बंदोरा भूम से छतर चमर सिर पे दुरे । ब्राह्मण वेद उच्चारतां चवरी के बीच फेरा करे | व्याव करके विदनी को वीं लाया निज घरे । छोटा टिकडी भ्राता भगनी को भोगे भेद ना पाया । एक दिन गवाक्ष में पड खेल रचाया | नामांकित मुद्रिका बांच अति सरमाया । ले मुंह मुथरा कुबेरदत्त सिधाया ॥ मि ॥ कुंबेरदत्ता हो लज्जित कंपन लागी । म० । चित्त में बहु पिछताईजी । प० २ ।। उस समे मुनि महाराज ज्ञानी पधारे । म० । आय कर प्रश्न कीनाजी । कैसे हुवा अकाज । मुनि जब उत्तर दीनाजी । थे पूर्व जन्म में कंथ कामिनी होता । म० । शीलव्रत थां तिहां लीनाजी | पाडोसण भंगाया त्याग पापणी अनर्थ कीनाजी || शेर || पाडोसण मर वीच मथुरा हुई वेश्या नारजी | तुम दोनों उसकी कूल में लिया जुगल अवतारजी । बंद कर सिन्दूक में यमुना में दीना डारजी । कुमेरदत्ता सुन चरित्र छुटी अश्रुधारंजी || छो ॥ मुनिराज दे उपदेश खूब समझाई। फिर पिता पुत्र को दोनों न्याय सुनाई । वैराग पाय कोई उत्तम सती पे जाई । मुख बांध वस्त्रिका संयम लियो सुख दाई | मि ॥ तप जप करणी कर अधि ज्ञान सती पाई । म० । मात संग देख्यो भाईजी || १० ३ ॥ ले आज्ञा गुरुणी की समजावा के कारण | म० | आई वह मथुरा के दरम्यान पूंछे वंश्या से । दे मुझ को रहने के लिये मकान । पूर्व पश्चिम सम तेरी मेरी करणी | म० | बेश्या जब ऐसी बोली जबान । कहे साध्वी आई कारण से तुंज हकमें हित जाण ॥ शेर ॥ जो रहे खेलाना होगा तुझ को मेरा कुमारजी । मंजूर कर रही साध्वी आगे सुनो अधिकारजी । उस वक्त कुमेरदत और मिलके वेश्या नारजी । चित्रशाली में घुसे रोने लगा कुमारजी ॥ छो || बालक का सुनके रुदन वैश्या अद
SR No.600357
Book TitleJambu Gun Ratnamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethmal Choradia
PublisherJain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
Publication Year1920
Total Pages96
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy