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________________ अंबु | पड्यां दे सरणजो मेट काल की भ्रांत अचल पद अापतारे लो । हे० ब० । जड चेतन भिन वर्णजो । चित्त समाधि उप जाय कियो निर्माप तारे लो ॥ हे० ब० २४ ॥ झूठा मोहना फंदजो । हस्ताम्बल ज्युं जगत् रुप देखीवियोरे लो ॥ हे०व० ॥ मन आणो आनंदजो । साचा सज्जन सेती साता पाबियोरे लो ॥ हे. व० २५ ॥ गुणती समय ढालजो जंबूजी पर चावी सप्तमी पद्मणीरे लो। हे. व० । कथा करी सुरशालजो । अति मुख दायी भविजन मन भणीरेल। ॥ हे ० व० २६ ॥ ॥दोहा ॥ कर जोरी गौरी तदा । अष्टमी कर प्रणाम । वीनती भरतार सुं जीत सिरी अभि राम ॥ १ ॥ इम किम पीऊडा परिहरी । हम लागी तुम साथ । मार्ग वह तीछां नही । लाया छो ग्रहि हाथ ॥ २ ॥ सुख तज दुख • आदरो । किसुं विमास्यो स्वःम । अबला अदविच मूकता । थास्यो जग बदनाम ॥ ३ ॥ लोकोत्तर सुधरे तदा आछो कहे लौकीक । आप सभी विध जाणता । किसी दीजीए सीक ॥४॥ ॥ ढाल तीसमी॥ कांईक ल्योजी हे ल्याजी ३ महावीरस्वामी काईक ल्योजी हेनाजी ३ जंबूजी साहिब तजिये नाजी ॥ आंकडी ॥ सुसराजी घर एक दीवलो। तुम विण तिमिर प्रचूर । वृद्ध अवस्था | छेह दिखलावो । कौण मनोरथ पूरे ।। त० २ ॥ हेत जुगत में लीने दाख्यो । रूढी बुद्ध उत्पाते । ब्राह्मण || ढाल
SR No.600357
Book TitleJambu Gun Ratnamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethmal Choradia
PublisherJain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
Publication Year1920
Total Pages96
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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