SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 923
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्मप्रकृतिः अनुभागोदीरणा ॥७८॥ अध्रुवः मूलप्रकृतेरनुभागोदीरणायाः साद्यादिभङ्गयन्त्रम् अजघन्यः जघन्यः अनुत्कृष्टः प्रकृतयः सादिः | अधुवः अना० धु० सादिः | अधु० | सादिः | अधु० अना० ४०| सादिः । | (मूलप्रकृतिषु) | परावृत्ति भावा- अभ०१२मे गुणस्थानत्वात शान०-दर्श वि० परावृत्तिनाम् | त्वात् परावृ० त्वात् परावृ० परावृत्तित्वा- परावृ० नामगोपाल परावृत्तित्वान्मि- परा० आदेर भन्याथ्याशि सादिमिथ्या० मिथ्यादृशि मिथ्या० भावा- अभ० १३ मे | नाम् अप्रमत्तादिः . साध. | वेदनीयस्य २०मबद्धस " तः पतताम र्वार्थसुरा" नाम णाम् । मोहनीयस्य | ११तः पतिता- भव्या मयादन परावृत्तिनाम् (१०मे) नाम् परावृ० भव्या- सादर वा: अभ०१२मे गुणस्थाले सादि EGARGADARSHRESS स्वात् ADDRESS प्राप्ता-" सादिस साद्यप्राप्ता व्या नाम अभ-क्षपकानां परावृत्ति परावृ० स्वात् .. तरं त्वात् आयुषः अध्रुवत्वात् अधु० - - अध्रुवत्वात् अ५० | अध्वत्वात् अधु० - - अध्रुवरवात् अधु० ॥७८॥
SR No.600347
Book TitleKarm Prakruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Chirantanacharya, Malaygirisuri, Yashovijay Gani
PublisherJin Gun Aradhak Trust
Publication Year2016
Total Pages1490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy