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________________ उपासक दशाङ्गम. R- 5 ॥५६॥ | टाणस्स आलोएहि जाव पडिवजाहि ॥ २६४ ॥ तए णं से महासयए समणोवासए भगवओ गोयमस्स तह ति एयमट्ट विणएणं पडि- सुणेइ, २त्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव आहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जइ ॥ २६५ ॥ तए णं से भगवं गोयमे महासयगस्स समणोवासयस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमइ, २त्ता रायगिह नगरं यज्झं मझेगं निग्गच्छइ, २त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, २त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, २त्ता सञ्जमेणं तवसा अप्पागं भावेमाणे विहरइ ॥ २६६ ।। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ रायगिहाओ नयराओ पडिणिक्खमइ, २त्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ २६७ ॥ तए णं से महासयए समणोवासए बहहिं सील जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोबासगपरियाय पाउणित्ता एकारस उवासगपडिमाओ सम्म कारण फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं एसित्ता सदि भताई अणसणाए छेदेता आलोइयपडिकन्ते समाहिपते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुपवडिसए विमाणे देवत्ताए उयचन्ने । चत्तारि पलिओचमाई ठिई । महाविदेहे वासे सिज्ज्ञिहिइ ॥ २६८ ॥ निक्वेवो ॥ सरामस्स अगस्त उवासगदसाणं अट्ठभं अज्झयणं समत्तं ॥ नवमस्स उपेक्यो ।एवं खलु जम्बू ! तेगं कालेग तेणं समएणं सावत्थी नयरी, कोट्टए चेइए, जियसत्तू राया॥ तत्वणं सावत्थीए नयरीए नन्दिणीपिया ना गाहावई परिवसइ, अडढे, चत्तारि हिरण्णकोडीओनिहाणपउताओ, चत्तारि हिरणकोडीओ वुइ दिपउनाओ, चत्तारि हिरपणकोडीओ पथित्थरपउत्तायो चत्तारि वया, दसगोसाहस्सिरणयएण। अस्सिणी भारिया ॥२६९।। सामी समोसहे। जहा आणन्दो तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ । सामी वहिया विहरइ॥२७०॥ नए णं से नन्दिणीपिया समगोवासए जाए जाब विहरइ ॥२७शा तए णं तस्स नन्दिणीपियस्स नवम दशमे च कष्ठये एवेति ॥ CCCIENCE5-5CECX 55050
SR No.600341
Book TitleUpasakdasha Shrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size13 MB
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