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________________ विगिंच कम्मुणो हेउं .... ३-१३ विवित्तसेज्जासण जंतिआणं ३२-१२ वेमायाहिं सिक्खाहिं .... ७-२० ६-१५ विसएसु अरजंतो .... १९-९ वके वंकसमायारे .... ३४-२५ विच्छिण्णे दूरमोगाढे ..... २४-१८ विसप्पे सबओ धारे .... ३५-१२ वंतासी पुरिसो रायं .... १४-३८ विजदंमि सए काए .... ३६-१८६ विसालिसेहिं सीलेहिं .... ३-१४ विजहित्तु पुबसंजोगं .... ८-२ विसं पिवित्ता जह काल कूडं २०-४४ सई च जइ मुच्चिजा .... २०-३२ विततपक्खी अ बोधवा ... ३६-१८७ वीसं तु सागराइं .... ३६-२२९ सकम्मसेसेण पुराकएणं .... १४-२ वित्ते अचोइए णिचं .... १-४४ वुच्छिद सिणेहमप्पणो .... १०-२८ सक्खं खु दीसइ तवोविसेसो १२-३७ वित्तेण ताणं न लभे पमत्ते ४-५ वेअण वेआवच्चे .... २६-३५ सगरोवि सागरंतं .... १८-३५ विदंसएहिं जालेहिं .... १९-६५ वेअणि पि अ दुविहं .... ३३-७ सच्चसोअप्पगडा विभूसं परिवजिज्जा .... १६-९ वेआ अहीआन भवंति ताणं १४-१२ सच्चा तहेव मोसा य .... २४-२० विरई अबभचेरस्स .... १९-२८ वेआणं च मुहं बूहि .... २५-१४ .... २४-२२ विरजमाणस्स य इंदियत्था ३२-१०६ वेआवच्चे निउत्तेण .... २६-१० सणंकुमारो मणुस्सिदो .... १८-३७ विधायं च उदीरेइ .... १७-१२ वेएज निजरापेही .... २-३७ सण्णाइपिंडं जेमेइ .... १७-१९ विवित्तलयणाणि भइज ताई २१-२२ वेमाणिआ उ जे देवा .... १६-२०७ सत्तरस सागराइं .... ३६-२२६ UTR-1
SR No.600338
Book TitleUttaradhyayanam Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2010
Total Pages444
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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