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________________ उत्तराध्ययन अनुक्रमणिका। 20 जइत्ता विउले जण्णे .... ९-३८ जह कडुअतुम्बगरमो .... ३४-१० छच्चेव य मासाऊ .... ३६-१५१ जइ सि रूवेण वेसमणो .... २२-४१ जह करगयस्म फासो .... ३४-१८ छज्जीवकाए असमारभंता १२-४१ जक्खो तहिं तिंदुअरु० .... १२-८ जह गोमडस्स गंधो .... ३४-१६ छबीस सागराई .... ३६-२३५ जगनिस्सिएहिं भूएहिं .... ८-१० जह तरुणअंबगरसो .... ३४-१२ छिण्णाले छिण्णई सल्लिं .... २७-७ जणेण सद्धिं होक्खामि .... ५-७ जह तिकडु अस्स य रसो.... ३४-११ छिण्णावाएसु पंथेसु .... २-५ जदि मझ कारणा एए .... २२-१९ जह परिणयंबगरसो ... ३४-१३ छिंदिनु जालं अबलं .... १४-३५ जम्मं दुक्खं जरा दुक्खं .... १९-१५ जह बूरस्स व फासो .... ३४-१९ छिन्नं सरं भोममंत .... १५-७ जया मिअस्स आयंको .... १९-७८ जह सुरहिकुसुमगंधो .... छहा तण्डा य सीउण्डं .... १९-३१ जया य से सुही होइ .... १९-८० जहा अग्गिसिहा दित्ता .... १९-३९ ऊंटणा दबजाएणं .... २६-६ जया सर्व परिचज .... १८-१२ जहाडण्णसमारूढे .... ११छंद निरोहेण .... ४-८ जरामरणकंतारे .... १९-४६ जहा इहं अगणी उण्हो .... १९ज. जरामरणवेगेणं .... २३-६८ जहा इह इमं सीअं .... १९-४८ जइ तं काहिसि भावं .... २२-४४ जलधन्ननिस्सिया पाणा .... ३५-११ जहा उ पावगं कम्म जइ त सि भोगे चइडं .... १३-३२ जस्सस्थि मजुणा सक्खं .... १४-२७ जहा एसं समुद्दिस्स .... ३४-१७ UTR-1
SR No.600338
Book TitleUttaradhyayanam Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2010
Total Pages444
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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