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________________ श्री विजयमामी आर्थिक मानीए छोथी तेमन णावेला बन्ने उतार सद्मा अंतःकरणथी आभार मानाकबाई तरफथी तेम XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX उदारचरित आर्थिक सहायको माटे आभारप्रदर्शन;पूज्यपाद आचार्यमहाराज १००८ श्री विजयमोहनसूरीश्वरजी महाराजना सदुपदेशथी आ ग्रन्थ छपाववामां नीचे जणावेला बन्ने उदार सद्गृहस्थो तरफथी आर्थिक सहाय आपबामां आवेल छे, ते माटे तेओने धन्यवाद अर्पण करवा साथे ते बन्नेनो अंतःकरणथी आभार मानीए छीए। . रु० ३०० शिहोरनिवासी स्व० शाह वनमाळी कानजीना धर्मपत्नी संतोकबाई तरफथी तेमनी ज पुत्री व्हेन हरकोर-जीवविचारावि प्रकरण-छकर्मग्रन्थ विगेरे तत्वज्ञानना अभ्यासी होई धर्मरुचि सम्पन्न छे, तेमणे पोतानी व्हेन लीलावतीना स्मरणार्थे अर्पण कर्या छ । रु. ३०० वेरावल (आवरी) बंदर निवासी शाह लीलाधर लखमीचंद के जे धर्मचुस्त जिनाज्ञापरायण तेमज साधुओनी वैयावच करनारा उदारमहाशय छे, तेमणे अर्पण कर्या छे। ले०-मु० क० जैनमोहनमाला कार्याधिकारी शाह लालचन्द नन्दलाल वकील जाIKHISAKाकारारारामा
SR No.600335
Book TitleNavtattva Prakaranam Sumangalatikaya Samalankrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohanmala
Publication Year1934
Total Pages376
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size34 MB
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