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________________ z ३१ " भूमिका ॥ श्रीनवतत्त्वसुमङ्गलाटीकायां ३२ . , चोपाइ > ॥८॥ < - ३१ श्री विवेकविजयजी | ३६ नवतत्त्व छन्दोबद्ध भाषा ३६ श्री ज्ञानसारमुनि ३२ श्री कमलशेखर ३७ , सार ३३ श्री सौभाग्यसुन्दर | ३८ समयसार प्रकरण ३४ श्री वर्धमानमुनि ३८ श्री देवानन्दसूरि ३५ , , ३५ श्री लुम्पकमुनि | ३९ , वृत्ति उपर जणावेल नवतत्त्वविषयक साहित्यनो नोंध जैनप्रन्थावली तेमज प्राचीन ग्रन्थ भंडारोनी सूचीना आधारे आपवामां आवेल छे. ए साहित्य पैकी श्री नवतत्त्व भाष्य सटीक श्री आत्मानन्द सभा ( भावनगर) तरफथी प्रगट थएल वर्तमानमा प्रगट छे, ते उपरांत जैनप्रन्थप्रकाशक सभा ( अमदावाद ) तरफथी नवतत्त्व साहित्य संग्रह नामर्नु पुस्तक थएल नवतच बहार पाडवामां आवेल छे जेमां श्री उमास्वातिवाचक-जयशेखरसूरि विगेरे महापुरुषोए रचेला नवतत्त्व साहित्य । प्रकरणो, अवचूरि गुर्जरभाषानुवाद तेमज स्तवनो विगेरेनो घणो संग्रह करवामां आव्यो छे। आ सिवाय स्थले स्थले खास प्रसिद्धि पामेल तेमज वर्तमानमा ज्यां क्या चालती धार्मिक पाठशालाओमां अभ्यास कराववामां आवतुं. ५९ ( अथवा ६०) गाथाओगें नवतत्त्व प्रकरण गुजराती तथा हिंदी भाषामा संक्षिप्त किंवा सविस्तृत अनुवाद साथे संख्याबंध संस्थाओ तरफथी बहार पाडवामां आवेल छे जेमां भीमसी माणेक, म्हेसाणा-यशोविजयजी जैनपाठशाला ( श्रेयस्कर मंडल,) श्री जैन प्रन्थ प्रकाशक सभा तरफथी प्रगट थएला अनुवादो पाठ्यक्रम माटे घणा उपयोगी तेमज महत्त्वना छ । -卐> ॥ ८ ॥
SR No.600335
Book TitleNavtattva Prakaranam Sumangalatikaya Samalankrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohanmala
Publication Year1934
Total Pages376
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size34 MB
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