________________
AND/Damera
आगममा प्रतिनिषेधेला मुजब गृहस्थना आलाप संलापमा रही संसारनी वृद्धिना उपायो योजना अने तेवा प्रयोगो करवाएको साधु साध्वीनो बिलकुल आचार नथी. माटे जो तमारे संसारना दुःखथी विरमवानी इच्छा होय तो श्री जिनेश्वरभगवाने | कहेली प्रव्रज्या लेवी.
साध्वीजीना धर्मोपदेशथी पोटीलाने संसारनी असारता जणाइ वैराग्य थयो अने तेणे पोताना पति तेतलिपुत्र प्रधानजी | पासे दीक्षा लेवानी अनुमति मागी. प्रधाने कयु के हुँ तने अनुमति क्यारे आघु के तुं जिनराजे कहेली प्रत्रज्या पाळो, देवलोकमां जाय, अने त्यांची आवी मने प्रतिबोधी जिनराजनो धर्म अंगिकार करावे एवी तुं प्रतिज्ञा करे अने ते पाळे तोन तने दीक्षानी अनुमति आपु. पोटीलाए ते वात अंगीकार करी. पछी प्रधाने साध्वीजी पासे जइ विनयपूर्वक कपुं के, हे भगवति, मारी स्त्री संसारथी उदाशीन थइ छे, तेथी हुँ आपने शिष्यगीनी भिक्षा आपुं . एम कहो साध्वोजीने अर्पण करी.
पछी पाटीलाए ईशानकोणमा जइ पोताना अलंकारो उतारी पोतानी मेळे पंचमुष्टी लोच कर्यो, पछी सुत्रता साध्वी पासे आवी वंदन नमस्कार करी दीक्षा अंगीकार करी. पछी अग्यार अंग भणी, घमा वर्ष दीक्षापर्याय पाळी छेवटे एक महीनानी संलेषणा करी समाधिपूर्वक काळ समये काळ करी देवलोकने विषे पोटील नामना उत्कृष्ट देवपणे उत्पन्न थई. ___ अहीं तेतलिपुत्र प्रधान कनकरथ राजाना सन्मानपूर्वक राजकारभार करतो हवो. काळे करीने राजा कनकरय मरण पाम्यो, राजा अपुत्रीओ मरण पामवाथी प्रजावर्गमा तथा सामंतोमा अत्यंत शोक थयो. राजानुं प्रेतकार्य करी सामंतवर्म
thanm/aayaate/
avm/AMus/namavasaavaasad
/
BougaBM