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→* नपकार. * परमपूज्य प्रातःस्मरणीय परमगुणान्वित स्वछ मति गति रति (नाग्य) यश-* वंत गधपति श्रीमान् नद्दारक श्री वातृचंसूरीश्वरजीना सुविनयी सुशिष्य सादर श्री सागरचं जी मुनिमहाराज के जे साहेबे आ परम लानकारी पुस्तकने प्रसि-* हिमा लारवा हितार्थ अलग अलग स्थळे यी परमोपयोगी लेख एकत्र करी सुधारी थापयामां अवर्णनीय काळजीपूर्वक ध्यान थापो पोताना पठन पाठन क्रियानुष्ठानादि करवाना महान् कीमती समयनो लोग आप्यो , अने नव्यजीवोना आ. स्मकल्याणनो मार्ग खुस्लो करवा खंत राखी , ते माटे शुद्धांतःकरण पुरःसर तेश्रीनो उपकार मानी श्री जैन इनिसिंघ सरस्वतीसला अत्यानंद पामे ले.
ली. सदगुरु वार्षिद सेवक, PREAKICHIKIXEKSIKKIMIREDIRAKSIKKIKHENKIKE
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