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________________ - समर्पणपत्रिका. श्रीमन्नागपुरीय वृहत्तपगठाधिराज युगप्रवराचार्य जंगमतीर्थराजतुल्य सहश्राष्ट श्रीयुत् परमपूज्य सद्गुरु नद्दारक श्री वातृचंप्रसूरीश्वर साहेव ! o आप श्रीमान सेवक जनमनवांछितपूरक कल्पवृक्ष सदृश छो, सत्यप्रवचनोपदेष्ठा होवाथी भविजीवो द्वारक (भविजनतारक) प्रवहण रूप छो, माचीन जैनशैली मुजय विधिपरंपरा पद धारक शुद्ध क्रियान ठानवंत छो, शांतरसना समुद्र , सुरूपगुणाकर, वचमातिशयवंत, चारित्रपात्रचूडामणि, कुमतांधकारनभोमणि 3 छो, अने मुनिजनमनमानसहंस होइ उग्रविहार युक्त भारतभूमंडल.मां विचरी स्वपरनुं सदा कल्याण कर्या * करोछो. इत्यादि प्रातःस्मरणीय सद्गुणोथी लोभाइ आकर्षायला मनोभावसह, आप परमोपकारी गुरुराजना सद्गुणोनुं सदैव स्मरण रहेवा हितार्थ आ " मुरदीपिकादिप्रकरणसंग्रह" नामक परम लाभदायि पुस्तक * समर्पण करी अत्यानंद पामुंळु ते आप सेवकश्रेयकारी स्वीकारी लइ आभरी करशोजी !
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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