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________________ eDGARDENTRAVAIVARMinuVAR येन प्रतिपूर्णोय पोषधोव्रतानिग्रह विशेषस्तं, प्रतिपूर्णमादारशरीरसंस्कारब्रह्मचर्या| व्यापाररूपं पौषधमनुपालयन् संपूर्णश्रावकधर्ममनुचरति. नावार्थः-चउदश, आठम, पूनम एटले चोमासानी त्रण पूनम ( श्राषाढी पूनम, कार्तिक | पूनम, फाल्गुणनी पूनम ) ए पर्व विगेरे पुण्यतिथी/ने विषे, (इत्यादिक धर्मना दिवसोने विषे) अतिशय मनोहर अने संपूर्ण एवो जे पौषधवत अन्निग्रह विशेष, तेने संपूर्ण रीते एटले आहा. | रनो त्याग, अने शरीरसंस्कारनो त्याग, ब्रह्मचर्य पालन, व्यापारत्यागरूप पौषधवतने पालन करता | | संपूर्ण श्रावकधर्मने आचरण करे . एवी रीते चोमासी त्रण पूनमनी सूत्रकृतांग नगवती, उत्तराध्ययन आदि सूत्रोनी वृत्तिमा बतावेली . माटे उपर बतावेल (श्री हेमचन्झाचार्यदिकनी) व्याख्याना थाधारथी नव्यजीवोए त्रण पूनमनी चोमासीनु अवश्य श्रद्धा न करवामां परा. यण थर्बु. ( इति जिज्ञा० पूल चातुः निर्णय ) PGovt/MD/9/0DDOGDa Rav u sa
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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