SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 346
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्नोत्तर प्रश्नीचर. ॥१५॥ Paavisamaaaaaaaaaamom/99/50/B/Maava कर्या हता ? अथवा तो ते व्याख्याननी मर्यादा चूर्णिकारे बतावी डे के केम ? ___ उत्तर १-या बाबत संबंधी चूर्णिकारे श्री कालिकाचार्यजीने उद्देशीने कशी पण हकीकत || दर्शावी नथी. प्रश्न -थार्यकालिकसूरिमहाराज एकज थया डे के जुदा जुदा थया ले ? उत्तर ५-ए नामावाळा आचार्य एकज नथी यया, परंतु जुदा जुदा थया दे, ते ए के एक कालिकाचार्य दत्तपुरोहितना मामा तरीके उळखमां आवे जे एम योगशास्त्रनो बीजो प्रकाश साबिती आपे बे, अने ते कालिकाचार्यना नाणेज दत्तपुरोहिते तेजश्राचार्यने पूब्यु के'महाराजजी ! यतुं शुं फल मले बे ?' आना उत्तरमा गुरुए कह्यु के-'यझना फलमां | नरक मले !' इत्यादि इत्यादि. १५५।। वली.पूर्वश्रुतसमृद्ध श्रार्यकालिकाचार्य के जे आर्यश्यामाचार्यना नामथी पण उलखवामां || || SHIVANDANDEEPMOMaaDARDanasamatavaraaNavam
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy