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________________ मनोतर. प्रश्नोत्तर ११५४ tantaeranayamavasmievanaemap/topassw/itmentsyntertav केमकरी. या बाबतमां चूर्णिकार स्पष्टरीते लखे ले के, चोथनी बाबतनो श्रादेश राजाए कराव्यो बे, पण कालकाचार्यमहाराजनो आदेश तो चूर्णिकारे पांचमनोज लख्यो . चूर्णिकारे कार्तिक पूनमनी चोमासी कर्याबाद एकमना दिवसे विहार करवानी थाझा श्रापेली . आ उपरथी सार समजवानो के चूर्णिकार पोते चोथने अपर्व कहे डे, ने अपर्वमां पजुसण कराय नहि, अने करे तो प्रायश्चित कडं . माटे पर्वमांज श्रीपर्व कराय. एम खुल्लीरीते निशीथसूत्र १, निशीथ चूर्णि २, कस्पनियुक्ति तथा समवायांग टीका ३, कल्पचूर्णि ४, दशाश्रुतस्कंध ५, तथा तेनी | चूर्णि ६, तथा पंचासक हरिनद्रसूरिकृत तेनी टीका . विगेरेमां पर्वना दिवसे पजुसण पांचमनांज करां बे. वली चोथ कर्या पड़ी पांचम न थाय, एम जे कहे जे ते खोटुं . कारण के जो | | फरी न कराती होय तो, पंचांगीवालाये मना केम करी नहि ? अने जे एक दिवस वधे एवी || | | कुयुक्ति करी वमल (ब्रम) मां नांखेडे, ते पुरुषे पंचांगीना अदर बताइवा जोइए. हवेथी चो-|| थज करवी, एवा अक्षर को स्थले बेज नहि, अने टीका पण सर्वमान्य होय तेज सत्य जाणवी. vaasanvaalaapotasairavasanases ॥१५४
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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