SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बहुगुण संथ संथवे ए ॥ तुम पसाए लदेवि स्वामिय ए तप, वेगे प्रमाण चमावीयो ए । सिद्धि साधनने काज इस तप भावना, आतम रस इम जावियो ए ॥ ५८ ॥ चथ बम नाम दसम वालस, परक मासखमण करे ए । निरुपम मन परिणाम मनथी दमी समी, वि. षय कसाय समुद्धरे ए ॥ जिनवर साथै विहार विहरत क्रमे क्रमे, कर्म बहू मुनि निर्जरे ए । संवर पंच विचाराम मद टाले ए, अढारसहस सीलंगधरे ए ॥ ५ए ॥ उत्तम उग्र उदार ति तपे खंदक, रूषिवरति कृश तनु दुवो ए । इणीपरे चित्त विचार जीवह अनेरमो, देहरो जुजुवो ए ॥ निर्मम निरंकार तंसुं तन शोषित, मंस लेश दिसे नहीं ए। अस्थि चर्म नस जाळ वेदित केवल कम कम रव करतो सही ए ॥ ६० ॥ देदतणे बळ खीण चाले जीवस्युं, जीव एम रध रहे ए । बोलिस्युं किम गिलाइ जाषिय जाषंतो, खिषेक मूर्जित जिम हुवे ए ॥ पंचं गुल तिलक जंग इंगालद, सगड जेम खम खम करे ए । तप उपचित सुविशाळ अपचित शो - पित, मंसहिं गुणमणि तनु जरे ए ॥ ६१ ॥ नासरासि पलिन्न हुतवद अंतर, तप तेजे ते
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy