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________________ MDASTD/EDGooad/DED/ नवमो करे विषनक्षणतणो ॥ श्ए ॥ चालती ॥ सत्यो वामण शस्त्रे जे मरे, दसमो ए गणी जि|नवर उच्चरे ॥ वेदाणस पासे ग्रहण ग्यारमो, ग्रीडपीठ मरण ते नणीये बारमो ॥ त्रुटक ॥ | बारमो जे गज कलेवरमांहि पेसीने रहे, श्वानादि नदण करे श्णीपरे तेय दुस्सह दुख सहे ॥| |ए मरण मरतो बाळ अनंता, मरण चिहुँ गतिना लहे॥ चउरत जब कंतारिनमतो काळ अनं- | | तो निरवहे ॥३०॥ चालती ॥ पंमित मरण दुविध प्रकासोयो, पादोपगमन संवर वासियो । नत्त परिन्ना बीजो जाणवो, बिहुमां पहेलो श्म मन आणवो ॥ त्रुटक ॥ आणवो मन श्म प्रथम | पादप माल जिम धरणी ध्रसे, लव मात्र उंची न नीची थाये थाघीय पानी नहु खसे ॥णीपरे | अंग जवंग राखे अमग संथारो करी, जिवंत मृत जिम रहे निश्चळ मोह माया परिहरी ॥ ३१॥ | चालती ॥ तेह निहारीम 'निहरण जेहनो, बाहिर करवो ज्वालन देइनो ॥ ते अनिहारीम गिरी-|| | वर दरी रही, करे संथारो अवसर जे लही ॥त्रुटक ॥जेहथकी निदरण थाये नहु ते थनिहारीम | जाणीये, नियम हुँती अपमि चरणातणी अतीहि. वखाणीये ॥ बीय प्रमित मरण पञ्चखी नात PANDEAD/EDIADODARDostAR/SUDAAINMEANI /DBOBANDARDAR
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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