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________________ प्रश्नोचर प्रश्नोत्तर ॥ अथ श्रीराजर्षिकृतप्रश्नस्योत्तरम् ॥ पुरुषकाय स्थिति रहेतो सागरोपम ए०० कामेरा ॥ स्त्री वेद रहेतो पत्योपम ११० पृथक्त्व, पूर्वकोमी ॥ नपुंसक वेदे रहे अनंति उत्सर्पिणी अवसर्पिणी रहे। पंचेंद्रि पंचेंद्रिपणे रहे तो, सागरोपम १००० कामेरा॥जीवत्रसकाय मांहे आवी त्रसपणे रहे तो सागरोपम २००० कामेरा रहे। पांच ज्ञान त्रण अज्ञान कासथकी जघन्य तथा उत्कृष्टो केटलो काल रहे ते सखीये बीये, || | मतिज्ञान अने श्रुत ज्ञाननो कालजघन्यत अंतर्मुहूर्त एक॥ उत्कृष्टो काल सागरोपम ६६ कामेरा ___अवधिज्ञाननो कास जघन्यत एक समय, उत्कृष्टो ६६ सागरोपम मारा, अवधिज्ञाननो एक || समय ते केम? विनंगज्ञानी समकित पमिबजे तेवारे विनंग मटी अवधिज्ञान थाय, ते एक | समय रही वली पझे, विनंगज्ञाननो विनंगाने ज आवे एटले विनंगनो विनंग ज थाय. एम अवधिज्ञान जघन्यत एक समय होय. swerpowdeoamavaase BOADINDORE/ Aasuraaeerautela eatsaotmo/S5DAIRVANE ॥१२२॥
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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