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________________ Boad/DeewDGAGDA6GBarosas/ दीलतणो व्रत दूषे तेह ॥ खणे खाज ए दशमो जाण, टाळंतां व्रत चमे प्रमाण ॥ ७॥ अंगे वी. सामण कारवे, दोष ग्यारम व्रत हारवे ॥ बारम दोष जे निसा करे, बार दोष काया परिहरे ॥ ए ॥ वचनतणा दश दोष पिठाण, परिहरि चतुरपणो चित थाण ॥ बोले कुवचन पहिलो दोष, लागो जाणीमधरिश तोष ॥१०॥बीजे मनषिश सहसाकार. आयो पागे हिवत्रीजो। वार ॥ आपणलंदे जे बोलिये, चनथो दोष विषे तोलिये ॥१९॥ नणतो सूत्र मकर संक्षेप, पं-|| चम दोषतणो निक्षेप ॥ कलह म मंमिश जां व्रतनार, बहा दोषतणो परिहार ॥ १२ ॥ विकथा | | सप्तम दोष निवार, परउपहास आठमो विचार ॥ संपद पद विण उतावळो, म नणो नवम | दोषथी टळो ॥ १३ ॥ जाव आव श्म कहिये नहीं, दशम दोष परिहरिये सही ॥ वचनतणा ए जाणी दोष, टाळि करो सामायिक पोष ॥ १४ ॥ मनना दोष दिवे सांनळो, परिहर नवियण | पूरे रळी ॥ प्रथम दोष मन नहीं विवेक, नहु जाणे कणो अतिरेक ॥ १५ ॥ यश कीरति वांडे | अति घणी, करे सामायिक जे तिह नणी ॥ बीजो दोष ए गम कह्यो, नवियण जण जाणि PDasaruwaowwPDA0000000000
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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