SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 210
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अ०बी० ८७ road/Draupoup/amous/oD/ABus/apps/oDa (अप्रत्याख्यानी) अस्थि समान ,अप्रत्याख्यानीमाया घेटानाशिंगमा सरखोअने अप्रत्याख्यानी || लोन गामानी धरीनी मळी समान डे अने एओ तिर्यंचनी गतिदाता . स्थिति वर्ष दिवसनी अने देशविरतीनो घात करनार जे. प्रत्याख्यानी क्रोध वेळुनी रेखा समान १, प्र मान काष्ट सर २, प्र० माया गोमूत्रना समान ३, प्रलोन नगरनी खाळना कादव समान होय बे. एयोनी स्थिति चार मासनी, गति मनुष्यनी यापी शके अने सर्वविरतीनो घात करे वे. संज्वलन क्रोध पाणीनी लीटो समान १, सं० मान नेत्रनी सळी समान २, सं माया वांसमानी बोल समान ३, अने संग लोन हळदरना रंग समान ४. एयोनी स्थिति पंदर दिवसनी, देवगतिदा| ता, अने यथाख्यात चारित्रनो नंग करे बे. _ या सर्व मळी १६ कषाय ए नोकषाय . हास्य, रति, अरति, नय, शोक, दुगंग, स्त्रीवेद, | पुरुषवेद अने नपुंसकवेद ए चारित्र मोहनीनो पच्चीश प्रकृति. समकित मोहनीनी त्रण प्रकृतिसमकित मोहनी, मिश्रमोहनीश, मिथ्यात्व मोहनी३ए सर्व मळी २० प्रकृति बे. एजनी स्थिति Bom/asangsasana/RDPREAD/09/Bana
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy