________________
Bramue-SIVDrasvateTad apataBaruaaman
__ सातमुं अप्रमत्त संथम गुणगणुं एटले के-ते पांच प्रमाद रहित अनंत गुण विशुद्ध निश्चय चारित्र विषे स्थिरता रूप ते सहित जे अध्यवसाय तेज सातमुं गुणगणुं कहेवाय . .
श्राम निवृत्ति गुणगणुं एटले के चारित्रमोहनी प्रकृति उपसमाववा तथा खपाववाने माटे जेणे अतिविशुद्ध अध्यवसायवमे विशेष वीयर्योहास युक्त स्थितिघात, १, रसघात २, गुणश्रेणि ३, गुणसंक्रम ४ श्रने अपूर्व स्थितिबंध ५ ए पांच वस्तु यथी अपूर्वकरणे कद्देवाय बे, तथा एक समय अनेक जीव गुणगणे चड्या तेने शुद्ध शुद्धतरादिक अध्यवसाय नेदवमे निवृत्ति कहेतां फेरफार होय त्यां एनुं नाम निवृत्ति गुणगणुं पण कहवाय. या गुणस्थानके समय समय अनंतगुण विशुद्ध थाय . 6 :
नवमुं बादरसंपराय गुणगएं एटले के-एक समयमां अनेक जीव चमे अने अध्यवसाय फेरफार न होय तेथी एनुं नाम अनिवृत्ति कहेवाय , तथा बादर (मोटा) संपराय ( कषाय) ना थहींयां खेम थाय बे तेथी बादर संपराय कहेवाय .ए
e/apps/ee/DDDDDRoasawal