________________
पान्छ०
D/0/peop/s
E/
पाली छत्रीशी
है| सवि त्रस थावरना दुख लहे, आप समाणी वेदन कहे ॥ ३५ ॥ इस्यो जाणी कोहणीये नहीं, |
|| वाणी मधुर जिनवरनी कही ॥ जे नाखे तेहने अनुसार, ते साचो उपदेश विचार ॥ ३६ ॥ ॥५४॥
एह वचन साचा सदहे, नवियण आगळ साचा कहे ॥ तेह सुगुरुनो समरी नाम, पार्श्वचंद्रसू|रि करे प्रणाम ॥ ३७॥
.* ॥ अथ श्री पाखी त्रीशीर
॥चोपाइ छंद ॥ प्रणमीए पहिलो वीर जिणंद, नविय कमल पमिबोहे दिणंद ॥ पत्नणेसु पाखी तणो विचार, करी साख जिन आगमसार ॥१॥ के कहे पाखी चजदसे, के कहे पुनम अमावसे ॥ श्हनो निर्णय तो जाणीये, जो प्रवचन हियमे आणीये ॥२॥ पनर दिवसे जे बोल्यो पद, काल सरुप ते जाणे दद ॥ पाखी नाखी पोसह काज, दिन गणवे ते नहु जिनराज ॥३॥ पाखी मासे मासी, पक्षे पहुंचे किम चनमासी॥पंच दिवसे पाखी थको, संवत्सर बोली किम शको॥४॥
ana/
yamawVADHAViDescom/GOOD/Mermanpowक
pmomupeeDamp/
॥५४॥
॥३॥ पाखी प