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सु०दी.
दीपिका
asomvaarmvaawriteSaame/amaaNDaparavana
अहा पडिरुवं उम्गह उगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावे माणे विहरति तं-महाफलं खलु तहारुपाणं अरहताणं भगवंताणं नाम गोयस्स वि-सवणयाएकिमंगपुण अभिगमण वंदण णमंसण पडिपुच्छण पज्जुवासणयाए एगस्सविआयरिस्स धम्मियस्स मुवयणस्स सवणयाए किंमंगपुग विउलस्त अस्स गहणयाए तंगच्छामिणं समणं भगवं महावीर वंदामि मंसापि सक्कारेमि सम्मामि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि एवं मे-पेचाहियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए अणुगामियचाए भविस्सति इतिकट्ठएवं संपेहेति. .
अर्थ:-पोतपोताना तीर्थनी अपेक्षाए धर्मनी आदि करनार जाव मोशनी इच्छावाला एवा श्री महावीरस्वामी | भणी नमस्कार थापो. तिहां रहेला भगवान् प्रत्ये ९ वंदन करुं छु; हे भगवन् ! त्यो रहेला आप, इहाँ रहेलो हूं, तेने आप देखो; एम करी वंदन नमस्कार करे, वंदन नमस्कार करीने आवा प्रकारनो मनोगत संकल्प उत्पन थयो के आ जंबुद्वीप नामनो द्वीप तेना भरतक्षेत्रने विषे आमलकल्पा नामनी नगरी, तेना बाहेर आम्रसालवन चैत्य तेने विषे श्रमग भगवान् | महावीरस्वामी यथायोग्य अवग्रहनी अनुज्ञा लइने संजमे करी, तपे करी, आत्माने भावता थकां विचरे छे ते माटे खरेखर तथारूप अहंत भगवंत तेभोना नाम गोत्र पण सांभलवाथी महाकल्याणकारी छे, तो वली जे भगवान्ना सन्मुख जवू, वंदन करवू, नमन करवं, पूछवू, पर्युपासना करवा वडे करी, तथा वळी एक धार्मिक आर्य सुवचन तेना सांभलवावडे करी, जे फल थाय छे ते तो बली विशेष कल्याणकारी छे. वली विशाल अर्थना ग्रहणवडे जे लाभ थाय तेनु कहेवु शृं! एटले
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a0009/09/७DOD/DVEND/4