SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्प ० वारसा० ॥ ३८ ॥ उदिए उदिए पूयासक्कारे भविस्सइ ॥ सू. १३१ ॥ जं स्यणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्व - दुक्ख - प्पहीणे तं रयणिं च णं कुंथू अणुहरी नामं समुप्पन्ना, जा ठिआ अच लमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य नो चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा अठिआ चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य चक्खुफासं हव्वमागच्छइ ॥ सू. १३२ ॥ जं पासित्ता बहूहिं निग्गंथेहिं निग्गंथीहि य भत्ताई पच्चक्खायाई, से किमाहु भंते ! ?, अज्जप्पभिई संजमे दुराराहे भविस्सइ ॥ सू. १३३ ॥ ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स इंदभूइ - पामुक्खाओ चउदस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समण - संपया हुत्था ॥ सू. १३४ ॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स अज्जचंदणा - पामुक्खाओ छत्तीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिया - संपया हुत्था ॥ सू. १३५ ॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स संख - सयग - पामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणट्टिं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥ सू. १३६ ॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स सुलसा - रेवई - महावीरचरि० ॥ ३८ ॥
SR No.600323
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahuswami
PublisherBarsasutra PRakashan Samiti
Publication Year1980
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy