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________________ कल्प वारसा ॥ ७४॥ | क्खियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिण-वियडे पडिगाहित्तए, सेऽवि य णं असित्थे, नो 8 सामाचारी चेव णं ससित्थे, सेऽवि य णं परिपूर, नो चेव णं अपरिपूर, सेऽवि य परिमिए नो चेव णं अपरिमिए, सेऽवि अ णं बहु-संपन्ने, नो चेव णं अबहु-संपन्ने ॥सू. २५॥ वासावासं पज्जोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोअणस्स पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोअणस्स पंच पाणगस्स, अहवा पंच भोअणस्स च| त्तारि पाणगस्स, तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायण-मित्तमवि पडिगाहिआ सिआ, कप्पइ से छ तदिवसं तेणेव भत्तद्वेणं पज्जोसवित्तए, नो से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए ४ वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥सू. २६॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण |वा निग्गंथीणं वा जाव उवस्सयाओ सत्त-घरंतरं संखडिं संनियट्ट-चारिस्स इत्तए, एगे | एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्त-घरंतरं संखडिं संनियट्ट-चारिस्स इत्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं सन्नियट्ट-चारिस्स इत्तए॥सू. २७॥ ॥ ७४॥
SR No.600323
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahuswami
PublisherBarsasutra PRakashan Samiti
Publication Year1980
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size15 MB
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