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कल्प० बारसा
॥७३॥
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याइं बहुमयाइं अणुमयाइं भवंति, तत्थ से नो कप्पइ अदक्खु वइत्तए 'अत्थि ते आउसो! इमं वा | इमं वा' ?, से किमाहु भंते !?, सड्ढी गिही गिण्हइ वा, तेणियंपि कुज्जा ॥ सू. १९॥ वासावासं सामा | पज्जोसवियरस निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोअरकालं गाहावइकुलं भत्ताए वा पा- 18॥७३॥ | णाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थायरिय-वेयावच्चेण वा, एवं उवज्झाय-या-|
वच्चेण वा, तवस्सि-चेयावच्चेण वा, गिलाण-वेयावच्चेण वा, खुड्डएण वा, खुड्डियाए वा, | अवंजण-जायएण वा ॥सू. २०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थ-भत्तियस्स भिक्खुस्स || है अयं एवइए विसेसे-जं से पाओ निक्खम्म पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय है संपमज्जिय से य संथरिज्जा, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तद्वेणं पज्जोसवित्तए, से यनो संथरिज्जा, El एवं से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा
॥सू. २१॥ वासावासं पज्जोसवियस्स छ?-भत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥सू. २२॥ वासावासं पज्जोस
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