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कल्प०
सामाचारी
बारसा०
॥७२॥
थाण वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं ओग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं अहालंदमवि ओग्गहे ॥सू. ९॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा | सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥सू. १०॥ जत्थ नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥सू. ११॥ एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एगं | पायं थले किच्चा एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं (भिक्खायरियाए) | गंतुं पडिनियत्तए ॥सू. १२॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं 2 जोयणं (भिक्खायरियाए) गंतुं पडिनियत्तए ।सू. १३ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइ| याणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'दावे भंते!', एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए |॥ सू. १४॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'पडिगाहेहि भंते!', | एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्तए ॥सू. १५॥ वासावासं पज्जोसवियाणं
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