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श्रीपार्श्वनाथदीक्षामहोत्सवः
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| आभरण-मल्लालंकारं ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्रियं लोअं करेइ, करित्ता अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवाएणं एगं | देवदूसमादाय तीहिं पुरिस-सएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥ सू. १५७ ॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तेसीई राइंदियाई निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे के उवसग्गा उप्पज्जंति, तंजहा-दिव्वा वा माणुस्सा वा तिरिक्खजोणिआ वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ॥ सू. १५८॥ तए णं से पासे